Bank Deposit Insurance Update: बैंकों (Banks) में अपनी गाढ़ी कमाई रखने वाले डिपॉजिटर्स ( Depositors) को आने वाले दिनों में बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. बैंकों के दिवालिया होने या डूबने पर डिपॉजिटर्स को उनके डिपॉजिट पर मिलने वाले बीमा कवरेज के तहत उन्हें पूरा रकम वापस मिल सकता है जिसकी लिमिट फिलहाल 5 लाख रुपये है. बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव (M. Rajeshwar Rao) ने कहा है कि बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस ( Bank Deposit Insurance) लिमिट को एक अवधि के बाद बढ़ाया जाना चाहिए साथ ही उन्होंने छोटे डिपॉजिटर्स (Small Depositors), सीनियर सिटीजंस (SEnior Citizens) जैसे कस्टमर्स को उनके पूरे बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर देने की वकालत की है. 


डिपॉजिट पर इंश्योरेंस की हो समीक्षा!


डिपॉजिट इंश्योरेंस - कीपिंग पेस विथ दि चेजिंग टाइम्स (Deposit Insurance: Keeping Pace with the Changing Times) को लेकर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एम राजेश्वर राव ने कहा है कि, मौजूदा समय में भारत में लिमिटेड कवरेज ऑप्शन को लागू करते हुए प्रत्येक बैंक में डिपॉजिटर्स को 5 लाख रुपये का यूनिफॉर्म डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज दिया जाता है. उन्होंने कहा, बैंक डिपॉजिट्स के वैल्यू में आए ग्रोथ, आर्थिक विकास दर, महंगाई और इनकम लेवल के बढ़ने जैसे मल्टीपल फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए एक अवधि के बाद इस लिमिट में बढ़ोतरी की जानी चाहिए. 


छोटे डिपॉजिटर्स, सीनियर सिटीजंस को मिले पूरा इंश्योरेंस कवर


डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा, पूरी बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर का दिया जाना डिपॉजिटर्स के लिए सबसे आदर्श साबित हो सकता है और इससे बैंकों के पीछे भागदौड़ को भी रोकने में मदद मिलेगी. हालांकि नैतिक खतरों और वित्तीय तौर पर अव्यवहारिकता को देखते हुए ये संभव नजर नहीं आता है. उन्होंने कहा, छोटे डिपॉजिटर्स, सीनियर सिटीजंस जैसे कस्टमर्स के लिए पूरे इंश्योरेंस कवरेज के साथ हम वैकल्पिक टारगेटेड इंश्योरेंस जैसी संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं.   


बैंक डिपॉजिट में आएगी तेजी 


आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा, आज हम भारत को बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में गिनते हैं और आने वाले दिनों में भी ये जारी रहने वाला है. अर्थव्यवस्था के विकास के साथ इसके और ज्यादा संगठित होने के चलते बैंकों में प्राइमरी और सेकेंडरी डिपॉजिट्स में तेज उछाल देखने को मिल सकता है जिसके चलते इंश्योरेंस रिजर्व जरूरतों और जो रिजर्व उपलब्ध है इसके बीच भारी अंतर पैदा हो जाएगा. ऐसे में डिपॉजिट इंश्योरर को एडिशनल फंडिंग जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसे पूरा करने के उपायों पर गौर करना होगा. 


2020-21 में 5 लाख रुपये हुई थी लिमिट 


वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष निर्मला सीतारमण ने बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया. पीएमसी बैंक यानि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के बाद सरकार ने ये फैसला लिया जिससे डिपॉजिटर्स को अपनी जीवनभर की गाढ़ी कमाई को बैंकों में रखते हैं उन्हें राहत दी जा सके. हालांकि इसमें पेंच है. भले ही फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट, सेविंग बैंक खाते में जमा रकम को मिलाकर भले ही 5 लाख रुपये से ज्यादा रकम क्यों ना हो. 


DICGC पर है इंश्योरेंस की जिम्मेदारी 


भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर प्रदान करती है. डीआईसीजीसी सभी प्रकार की डिपॉजिट्स जिसमें सेविंग, फिक्स्ड, करंट, रेकरिंग जैसे डिपॉजिट्स पर इंश्योरेंस प्रदान करती है. अगर एक ही बैंक के अलग-अलग शाखाओं में 5 लाख रुपये से ज्यादा डिपॉजिट होने पर भी 5 लाख रुपये तक ही बीमा कवर मिलता है. लेकिन अलग अलग बैंकों में डिपॉजिट है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज लिमिट हर बैंक के खातों के लिए अलग से मान्य होगा. 


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