सरकार पीपीएफ समेत तमाम छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें लगातार घटाती जा रही है. ऐसे में निवेशकों के सामने VPF यानि वॉलेंटरी प्रॉविडेंट फंड सबसे अच्छा निवेश माध्यम है, जिसमें फिक्स्ड इनकम के साथ ईपीएफ के बराबर ब्याज मिलता है.EPF के उलट VPF में के तहत कर्मचारी इसमें अपने तय योगदान से अधिक निवेश कर सकता है. हालांकि नियोक्ता 12 फीसदी के अपनी योगदान सीमा से अधिक कंट्रीब्यूट नहीं करता. ईपीएफओ की ओर से तय सीमा से अधिक योगदान वीपीएफ में जाता है.


बेसिक सैलरी और डीए के 100  फीसदी तक वीपीएफ में योगदान कर सकते हैं


कोई भी कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए के 100  फीसदी तक वीपीएफ में योगदान कर सकता है. वीपीएफ के तहत ईपीएफ के बराबर ही इंटरेस्ट रेट मिलता है. इसकी योगदान राशि सैलरी से कट कर आपके वीपीएफ अकाउंट जमा हो जाती है.  इस वक्त स्मॉल सेविंग्स स्कीम योजनाओं औसत ब्याज दर लगभग 7.5 फीसदी है. पीपीएफ में 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है. इस लिहाज से वीपीएफ में 8.5 फीसदी ब्याज दर काफी ज्यादा है.


वीपीएफ पर हासिल ब्याज और इसकी पूरी राशि टैक्स फ्री 


वीपीएफ पर हासिल ब्याज और इसकी पूरी राशि टैक्स फ्री है. वीपीएफ से निकासी के नियम भी ईपीएफ जैसे ही हैं. इस बात पर गौर करना जरूरी है कि पांच साल की लगातार नौकरी से पहले वीपीएफ निकालने पर टैक्स लगता है. वीपीफ यूनिवर्सल अकाउंट नंबर से जुड़ा होता है और जब आप जॉब चेंज करते हैं तो अपना वीपीएफ ट्रांसफर करा सकते हैं. फ्लैट, घर खरीदने या मकान के निर्माण जैसी जरूरतों के लिए वीपीएफ के एवज में एडवांस लिया जा सकता है. स्मॉल सेविंग्स स्कीम रिटेल और सुरक्षित, निश्चित आय चाहने वालों कें काफी मुफीद होती हैं. लेकिन पिछले कुछ वक्त से सरकार लगातार इसकी ब्याज दरें घटा  रही हैं. ऐसे में वीपीएफ की तुलनात्मक ज्यादा ब्याज दर फायदे का सौदा है.  वीपीएफ इस लिहाज से भी अहम है कि यह बाजार के उतार-चढ़ाव से दूर सुरक्षित और टैक्स रिटर्न मुहैया कराता है.


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