निवेशकों के लिए अब तक फायदे का सौदा रही स्मॉल सेविंग्स स्कीमों का रिटर्न लगातार कम हो रहा है. सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें घटाती जा रही हैं. इस वजह से निवेशकों का आकर्षण इनमें घटता जा रहा है. एसबीआई और दूसरी छोटी बचत योजनाएं जो अब तक रिटेल डिपोजिटरों का पसंदीदा हुआ करती थीं, उनमें अब निवेश घटने लगा है.जबकि इनमें एफडी से ज्यादा ब्याज मिल रहा है. इसकी वजह है कि लोग लिक्विडिटी का ज्यादा ध्यान रख रहे हैं और लिक्विड एसेट में निवेश कर रहे हैं. यह स्थिति लॉकडाउन की वजह से आई है. लोग अपने पास कैश रखना चाहते हैं. लोग एहतियात के तौर पर पैसे बचाकर बैंक खातों में जमा कर रहे हैं.
कम ब्याज दर के बावजूद सेविंग्स बढ़ी
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में घरेलू बचत का बड़ा अनुभव है. खास कर यह माना जाता है जब रियल इंटरेस्ट रेट ज्यादा होता है तो सेविंग बढ़ जाती है और खर्च को भविष्य के लिए स्थगित कर दिया जता है. ऐसी स्थिति में बचतकर्ता सेविंग के दम पर मौजूदा खपत में बढ़ोतरी कर देता है. दिलचस्प यह है कि कॉमर्शियल बैंकों में स्मॉल सेविंग्स स्कीमों में ब्याज दर बहुत कम है. अब लोग लंबे समय तक इन स्कीमों में पैसा जमा कर रखने के बजाय बैंक डिपोजिट में पैसा जमा कर रहे हैं ताकि लिक्वडिटी पर असर न पड़े.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल इंटरेस्ट रेट निगेटिव होने के बावजूद सेविंग की यह स्थिति भारतीय संदर्भ में अहम है. देश का बचत अनुभव बताता है कि वित्त वर्ष 2000 से 2020 के बीच वास्तविक डिपोजिट रेट में कम से कम दो फीसदी की बढ़ोतरी के लिए सेविंग रेट में 1 फीसदी के बदलाव की आवश्यकता थी. रिपोर्ट के मुताबिक, पहले भी ऐसा हुआ है कि महंगाई कम रखने के लिए ब्याज दरों में कमी की गई थी.