Share market: लघु उद्योग के विस्तार के लिए शेयर बाजार से पैसे जुटाने की तैयारी कर रहे उद्योगपतियों के लिए यह थोड़ी परेशान करने वाली खबर है. शेयर बाजार के तौर-तरीकों को समझने से पहले उन्हें अपने खातों पर पैनी नजर डालनी होगी. पिछले तीन साल में से कम से कम दो साल एक करोड़ का मुनाफा होने के बाद ही वे शेयर बाजार का रुख कर सकते हैं. स्टॉक एक्सजेंच भी इस कसौटी पर परखने के बाद ही एसएमई को आईपीओ के लिए हरी झंडी देंगे. सेबी ने नियमों में कड़ाई कर लघु उद्योगों के स्टॉक एक्सचेंज जाने के रास्तों पर जगह-जगह पहरा बैठा दिया है. 


20 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता ऑफर फॉर सेल


बुधवार को सेबी बोर्ड की ओर से लिए गए फैसले के तहत एसएमई आईपीओ में शेयर होल्डर द्वारा बेचा जाने वाला ऑफर फॉर सेल 20 फीसदी से अधिक नहीं होगा. उसी तरह शेयर होल्डर अपने अधीन की शेयर होल्डिंग्स में से 50 फीसदी से अधिक नहीं बेच सकते हैं. मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से की गई नई पहल का मकसद केवल भरोसेमंद और आर्थिक रूप से मजबूत कंपनियों को ही आईपीओ के लिए अनुमति देना है. शेयर बाजार में स्थिरता बनाए रखने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने यह तय किया है कि आईपीओ से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स और उनसे संबंधित पार्टियों के लोन चुकाने में इस्तेमाल नहीं होगा. सेबी बोर्ड ने Unpublished Price Sensitive Information (UPSI) की व्याख्या से संबंधित कई प्रावधानों को भी कड़ा किया है. इस कसौटी पर उतरने के लिए एसएमई प्रमोटर्स को खासी मशक्कत करनी होगी.


इनवायरमेंट और सोशल पैरामीटर पर भी खरा उतरना होगा


एसएमई आईपीओ के लिए केवल वित्तीय ही नहीं बल्कि ESG यानी इनवायरमेंटल और सोशल गवर्नेंस के मानकों पर भी खरा उतरना होगा. सेबी की तरफ से कराई गई एक स्टडी में पाया गया है कि आईपीओ के लिए ड्राफ्ट तैयार करते समय एसएमई कानूनी पहलुओं पर खरा उतरने के लिए केवल जुगाड़ का सहारा लेते हैं. कानून की मूल भावनाओं का सम्मान नहीं करते हैं. 


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