नई दिल्लीः ऑनलाइन शॉपिंग कराने वाली ई-कॉमर्स वेबसाइट स्नैपडील 600 कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है. करीब 600 लोगों को हटाने के फैसले के बाद इस कंपनी के रकम जुटाने के लिए संघर्ष करने की खबरों पर मुहर लग गई है. बीते बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील ने 600 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी कर दी. इसकी आर्थिक हालत खराब होने के चलते ही कंपनी के को-फाउंडर कुणाल बहल और रोहित बंसल ने अपनी सैलरी में 100 फीसदी कटौती करने का भी ऐलान कर दिया है.


बुधवार को कंपनी के सह संस्थापक कुणाल बहल ने कर्मचारियों को भेजे एक मेल में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के छंटनी की जानकारी दी. वहीं सभी कर्मचारियों को भेजे इसी ई-मेल में कंपनी के संस्थापक कुणाल बहल और रोहित बंसल ने कहा है कि वे कोई वेतन नहीं लेंगे. इस फैसले के ऐलान के बाद कंपनी के एचआर ने छंटनी किए गए कर्मचारियों को नौकरी छोडऩे पर 3 महीने की तनख्वाह लेकर पद छोड़ने को कहा. ई-मेल में उन्होंने कहा कि संस्थापक समझते हैं कि कंपनी का हर संसाधन उन्हें मुनाफे की तरफ ले जाए और इस कारण रोहित और कुणाल वेतन में 100 फीसदी कटौती कर रहे हैं. कंपनी के दूसरे बड़े अधिकारियों के वेतन में भी कटौती की जाएगी.


यह कंपनी पिछले एक साल में कई बार अपने कर्मचारियों की छुट्टी कर चुकी है. स्नैपडील अगले कुछ दिन में रिटेल, लॉजिस्टिक्स और पेमेंट ऑपरेशन के कर्मचारियों की छंटनी करेगी. वहीं अब इसने अपने डिजिटल वॉलेट फ्रीचार्ज को बिक्री के लिए भी रखा है. सूत्रों की मानें तो इसे 30 करोड़ डॉलर में बेचने के लिए दक्षिण अफ्रीका के इंटरनेट ग्रुप नेस्पर्स से स्नैपडील की बातचीत चल रही है. फ्रीचार्ज को बेचने के लिए जनवरी में ही चीफ स्ट्रैटेजिक ऑफिसर नियुक्त किए गए जेसन कोठारी नेस्पर्स से बातचीत कर रहे हैं.


कंपनी को इस समय धन जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं. कंपनी सैंकड़ों की संख्या में कर्मचारियों की छुट्टी कर चुकी है. बहल ने स्नैपडील के कर्मचारियों प्रेषित एक ई-मेल में संदेश में स्वीकार किया है कि पिछले दो-तीन साल में बाजार में सारी पूंजी आने के बाद उनकी कंपनी और इस समूचे उद्योग ने गलतियां करनी शुरू कर दीं.


ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स में शुमार सबसे बड़े नामों में से एक स्नैपडील का फ्लिपकार्ट और अमेजॉन से कड़ा मुकाबला होता था. एक समय ई-कॉमर्स सेक्टर में फ्लिपकार्ट और अमेजॉन को कड़ी टक्कर देने वाली इस कंपनी ने 2015 से 2017 के दौरान अपनी बाजार हिस्सेदारी में बड़ी गिरावट देखी है. जबकि इस दौरान भारत का ई-कॉमर्स बाजार 12 फीसदी बढ़कर 14.5 अरब डॉलर का हो चुका है जिसमें कई नई कंपनियों ने तेजी से अपना बाजार बढ़ाया है.


क्यों हुई स्नैपडील की आर्थिक हालात खराब?
स्नैपडील को एक केंद्रित और उद्यमशीलता वाली कंपनी के रूप में दोबारा स्थापित करने की कोशिशें चल रही हैं क्योंकि इसने उचित आर्थिक मॉडल और बाजार के उसके लिए तैयार होने से पहले ही अपने बिजनेस को बढ़ाने पर फोकस कर दिया. कंपनी ने डायवर्सिफिकेशन और नए प्रोजेक्ट्स पर तो ध्यान दिया लेकिन पहले के कारोबारी मॉडल के प्रॉफिट पर ध्यान नहीं दिया. स्नैपडील अभी तक कोई मुनाफा नहीं कमा पाई है. कंपनी के प्रमुख निवेशक सॉफ्टबैंक ने पिछले नौ महीने के दौरान 2 बार अपने निवेश को बट्टे खाते यानी नुकसान वाले खाते में डाला है. स्नैपडील में छंटनी भारतीय स्टार्टअप उद्योग में चल रही उथलपुथल का सबसे ताजा उदाहरण है. पिछले साल आस्कमी सहित कई कंपनियां बंद हो गई थीं क्योंकि निवेशकों ने उन्हें फंड देने से मना कर दिया था.


कंपनी ने क्यों लिया छंटनी का फैसला?
वित्त वर्ष 2015-16 में कंपनी को 2,960 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. सूत्रों की मानें तो स्नैपडील के पास बैंक में सिर्फ 1200 करोड़ रुपये की रकम ही बची है और कंपनी के वॉलेट फ्रीचार्ज के बैंक खाते में 300-400 करोड़ रुपये ही बचे हैं. इस तरह देखा जाए तो कंपनी के पास कारोबार चलाने और इसे मुनाफे में लौटाने के लिए ज्यादा कैपिटल नहीं बचा है. वहीं इसके कर्मचारियों पर खर्च पिछले साल के मुकाबले 148 फीसदी बढ़ गया था इसीलिए कंपनी के कर्मचारियों पर छंटनी की गाज गिरी है.


कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है कि 2 साल में मुनाफा कमाने वाली कंपनी बनने के लिए कारोबार के सभी हिस्सों को सुधारने के लिए ये सोर्सेज और टीम में बदलाव कर रही है.