Social Stock Exchange India : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NSE India) को मार्केट रेगुलेटर (SEBI) से सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange - SSE) को स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. ये मंजूरी सेबी से 27 दिसंबर 2022 को मिली है. इससे पहले सबसे पुराने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange- BSE) को 19 दिसंबर 2022 को सोशल स्टॉक एक्सचेंज को शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी. जाने सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या हैं..


क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज 


स्टॉक एक्सचेंज के सेक्टर में SSE एक नया कंसेप्ट है. मालूम हो कि पहली बार केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के अपने बजट भाषण में सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) का जिक्र किया गया था. इसके लिए फ्रेमवर्क इस साल जुलाई में जारी किया गया था. SEBI द्वारा गठित एक वर्किंग ग्रुप और टेक्निकल ग्रुप की सिफारिशों के आधार पर हुआ था. इसका मुख्य उद्देश्य निजी और नॉन- प्रॉफिट सेक्टर्स को अधिक धन जुटाने का अवसर देना है.


ये देश पहले से कर रहे काम


कई तरह मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए स्टॉक एक्सचेंज होते हैं, लेकिन नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशंस (NPO) के लिए SSE होते हैं. साल 2020 में SEBI ने ही SSE को लेकर एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार किया गया था, SSE के बारे में लोगों से सुझाव भी मांगे गए थे. सेबी ने इसके लिए एक समिति भी गठित की थी. SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए फ्रेमवर्क 19 सितंबर को पेश किया था. दुनिया में इंग्लैंड, कनाडा और ब्राजील जैसे देश पहले से ही SSE पर काम कर रहे हैं. 


ऐसे होंगे शामिल


SSE में नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन जैसे की NGOs भी शामिल हो सकेंगे. अगर कोई कंपनी एक्सचेंज पर लिस्ट होना चाहती है तो पहले उसे अपना रजिस्ट्रेशन गैर-लाभकारी संगठन (Not-for-profit organisations- NPO) के रूप पर शामिल होना होगा. भारत में करीब 31 लाख NPO होने के कारण देश में इस एक्सचेंज के लिए काफी संभावनाएं बढ़ गई हैं.


निवेशकों को कैसे मिलेगा फायदा


इस बारे में वित्तमंत्री निर्मला ने बताया था कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज से देश के सभी नागरिकों को फायदा मिलेगा. एक इलेक्ट्रॉनिक फंड रेजिंग प्लेटफॉर्म बनाने की योजना है, जिससे समाज की भलाई के लिए काम करने वाले संगठनों को लिस्टेड करने और फंड जुटाने में मदद मिलेगी. अब NGO के शेयरों को आम आदमी/ निवेशक में खरीद-बिक्र करने का मौका मिलेगा. ये एक तरह से शेयर बाजार की तरह ही काम करेगा.


क्या है शर्त 


सेबी का कहना है कि NPO को एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत होना चाहिए, साथ ही कम से कम 3 सालों के लिए पंजीकृत होना चाहिए. पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम ₹50 लाख सालाना खर्च करना चाहिए और पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम 10 लाख का फाइनेंस हासिल करना चाहिए.


 


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