Soldier’s Financial Security: सेना में रहते कर ली यह प्लानिंग तो रिटायरमेंट बाद नहीं होगी पैसे की कमी
Armed Forces Personnel's Financial Planning: आर्म्ड फोर्सेस में काम करते हुए फाइनेंशियल प्लानिंग करें तो न तो नौकरी में रहते हुए और न ही रिटायरमेंट के बाद भविष्य की चिंता सताएगी.
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Defence Personnel Financial Safety: देश की सरहद की रक्षा करने वाले वीरों के भी परिवार होते हैं. उन्हें भी अपनी पत्नी और बच्चों के भविष्य की चिंता होती है. यहां तक कि कम उम्र में रिटायरमेंट के बाद केवल पेंशन पर जीने की मुश्किलों के बीच जीवन के सारे बाकी दायित्व को पूरा करने में कठिनाई की आशंका भी उन्हें कम नहीं सताती है. यहां तक कि नौकरी में रहते हुए भी कुछ ही दिनों में एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट होने की परेशानी परिवार को कोई कम बेचैनी में नहीं डालता है. बल्कि कई तरह से फाइनेंशियल बर्डन भी बढ़ा देता है. ऐसे में अगर आर्म्ड फोर्सेस में काम करने वाले पर्सनल नौकरी में रहते हुए ही सही तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग करें तो उन्हें न तो नौकरी में रहते हुए किसी तरह की वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा और न ही रिटायरमेंट के बाद भविष्य की चिंता सताएगी.
सेना में रहते हुए ऐसे करे फाइनेंशियल प्लानिंग
सालों तक सेना में रहने के बाद फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म चला रहे एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेना में रहते समय ही सैनिक या अफसर अपने छह महीने के खर्च के बराबर का पैसा हमेशा अपने सेविंग्स एकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या लिक्विड म्यूचुअल फंड में डालकर रखे. इसके अलावा ईएमआई या दूसरे इमर्जेंसी खर्च के लिए भी हर महीने अपनी आमदनी में से एक हिस्सा बचाकर रख लेना चाहिए. इससे ट्रांसफर के बाद नए स्थान पर शिफ्टिंग के समय अचानक होने वाले खर्च से बचा जा सकता है.यह ऑफिशियल क्वार्टर के इंतजार में हाऊस रेंट देने में मददगार हो सकता है. इसके अलावा बच्चों के एडमिशन के समय होने वाले भारी-भरकम खर्च को भी इससे अदा किया जा सकता है.
पत्नी को बनाएं फाइनेंशियल पार्टनर
आर्म्ड फोर्सेस पर्सनल के लिए जरूरी है कि वे अपनी पत्नी को फाइनेंशियल पार्टनर बनाकर उन्हें फाइनेंशियल लिटरेसी से अवगत कराएं. इससे वे फेमिली के सारे फाइनेंशियल ऑपरेशन सुगमता से कर सकेंगी. किसी अनहोनी की स्थिति में पत्नी को निवेश के उन सारे इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में जानकारी रहेगी. इसका रिटर्न वे आसानी से समझकर ऑपरेट कर सकती हैं. सेना में काम करने वालों को कई शहरों में प्रॉपर्टी नहीं बनाने की सलाह दी जाती है. क्योंकि, इससे सीमित छुट्टियों में कई शहरों में आने-जाने की समस्या बनी रहेगी. वहीं मकान से मिलने वाला रेंट टैक्सेबल होने के कारण भी परेशानी बढ़ाएगा. इसलिए किसी बड़े शहर में ही एक प्रॉपर्टी लेने की सलाह दी जाती है. वहीं डिफेंस सर्विसेस ऑफिसर्स प्रॉविडेंट फंड में भी कंट्रीब्यूशन बढ़ाने को उचित माना जाता है.
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