Flex-fuel :  पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी ( Increase in Petrol - Diesel Prices) थमने का नाम नहीं ले रही. हर दिन सुबह लोगों को पेट्रोल डीजल के दामों में इजाफा सुनने को मिलता है. अक्टूबर महीने में ही 21 बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाये जा चुके हैं. देश के कई महानगरों ले लेकर छोटे बड़े शहरों में पेट्रोल और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर के पार जा चुका है. बल्कि दाम बढ़ने का सिलसिला जारी रहा तो कुछ शहरों में जल्द ही सवा सौ रुपये में पेट्रोल मिलने लगेगा.


ऐसे में सवाल उठता है कि आम लोगों की जेब महंगे पेट्रोल डीजल के चक्कर में कबतक कटती रहेगी. सरकार को भी लगातार आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि कैसे पेट्रोल डीजल पर निर्भरता को कम किया जाये. एथनॉल ब्लेडिंग का काम तो पहले से चल रहा है. लेकिन अब सरकार की कोशिश है कि देश में जल्द से जल्द फ्लेक्स-ईंधन ( Flex - Fuel ) को लॉन्च किया जाये, जिससे आम लोगों को महंगे पेट्रोल - डीजल से निजात दिलाई जा सके. पर ये सवाल  जरुर आपको मन में कौंध रहा होगा कि आखिरकार फ्लेक्स-ईंधन ( Flex - Fuel ) क्या है. दरअसल इन दिनों लगातार  फ्लेक्स-फ्यूल कारों (flex-fuel car) और फ्लेक्स फ्यूल (flex-fuel) की चर्चा हो रही है. आपको बताते हैं आखिरकार फ्लेक्स-फ्यूल (What is flex-fuel) आखिर है क्या ? 


आखिर क्या है flex-fuel?


फ्लेक्स-फ्यूल के जरिए आप अपनी कार को एथनॉल के साथ मिश्रित ईंधन पर चला सकते हैं. आपको बता दें फ्लेक्स-फ्यूल गैसोलीन और मेथनॉल या एथनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. एक फ्लेक्स-इंजन मूल रूप से एक मानक पेट्रोल इंजन है, जिसमें कुछ अतिरिक्त घटक होते हैं जो एक से अधिक ईंधन या मिश्रण पर चलते हैं. इसलिए इलेक्ट्रकिल व्हीकल की तुलना में फ्लेक्स इंजन कम लागत में तैयार हो जाते हैं. इस पर सरकार तेजी से काम कर रही है. 


6 से 8 महीने में अनिवार्य हो सकता है फ्लेक्स फ्यूल  


सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा कि सरकार फ्लेक्स फ्यूल इंजन (Flex Fuel Engine) को अगले 6 महीने में अनिवार्य करने जा रही है. उन्होंने कहा कि ये नियम हर तरह के वाहनों के लिए बनाया जाएगा. इसके अलावा सभी ऑटो कंपनियों को आदेश दिए जाएंगे कि वह फ्लेक्स फ्यूल इंजन को अपने वाहनों में फिट करें.  


जल्द जारी होगा दिशा-निर्देश


सरकार जल्द ही फ्लेक्स-फ्यूल को लेकर दिशा-निर्देशों की घोषणा कर सकती है और कार निर्माताओं को भविष्य में फ्लेक्स फ्यूल इंजन बनाने के लिये बाध्य कर सकती है. इसे इलेक्ट्रिकल व्हीकल की तुलना में अधिक व्यवाहारिक माना जा रहा है. इसलिये मौजूदा पेट्रोल पंपों पर  पेट्रोल डीजल के अलावा जैव-ईंधन की पेशकश करेगी. आपको बता दें बायो एथनॉल की लागत पेट्रोल की तुलना में प्रति लीटर बहुत कम है. 


सस्ते में चला सकेंगे गाड़ी
अगर फ्लैक्स फ्यूल इंजन अनिवार्य हो जाता है तो लोग अपनी गाड़ियां एथनॉल से चला सकेंगे. एथनॉल की कीमत 65-70 रुपये प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल इस समय 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर बना हुआ है.


कैसे होते हैं फ्लेक्स फ्यूल इंजन


आपको बता दें फ्लेक्स इंजन वाले वाहन बाय फ्यूल इंजन वाले वाहनों से काफी अलग होते हैं. बायो फ्यूल इंजन में अलग-अलग टैंक होते हैं. वहीं, फ्लेक्स फ्यूल इंजन में आपको एक ही टैंक में कई तरह के फ्यूल डाल पाएंगे. ऐसे इंजन खास तरह से डिजाइन किए जाते हैं. 


फ्लेक्स फ्यूल इंजन लाएगी मारुति सुजुकी 


मारुति ने फ्लेक्स ईंधन वाली कारें विकसित करने की योजना बना रही है. फ्लेक्स ईंधन सस्ता होगा, लेकिन वाहनों के इंजन को संशोधनों से गुजरना होगा है जिससे खरीद लागत बढ़ सकती है. पेट्रोल और सीएनजी के साथ, फ्लेक्स ईंधन तीसरा विकल्प होगा. एक फ्लेक्स ईंधन इंजन मूल रूप से स्टैंडअलोन या मिश्रण दो प्रकार के ईंधन पर चल सकते हैं, मारुति एथनॉल से चलने वाले फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल पेश करने की योजना बना रही है. आमतौर पर पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण का उपयोग किया जाता है, फ्लेक्स ईंधन पेट्रोल की तुलना में सस्ता होगा, लेकिन ऐसे वाहन की खरीद की लागत अधिक हो सकती है. 


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