Sovereign Gold Bonds: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर कितना लगता है टैक्स, कैसे मिलता हैं मुनाफा, देखें पूरी डिटेल
Sovereign Gold Bond Scheme में निवेश को अन्य निवेशों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसमें हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज आपको मिलता है. ये एक तरह की गवर्मेंट सिक्योरिटी है.
Sovereign Gold Bond: देश में ज्यादातर लोग सोने में निवेश (Gold Investment) करना पसंद कर रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी सोने में निवेश (Gold Investment Returns) करके अच्छा मुनाफा लेना चाहते हैं तो आपके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम के तहत सोना खरीदने का मौका है. हम आपको इसमें सोने पर लगने वाले टैक्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
इतना मिलता है ब्याज
सोने में निवेश को अन्य निवेशों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसमें हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज आपको मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक तरह की गवर्मेंट सिक्योरिटी है, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक सरकार की ओर से जारी करता है. ये निवासी व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवार (HUF), ट्रस्ट्स, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं को बेचे जाते हैं.
1 ग्राम सोने का निवेश
आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार मैक्सिमम 4 किलोग्राम मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की मैक्सिमम लिमिट 20 किलोग्राम है.
कैसे लगता हैं टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर हर साल एक निश्चित ब्याज निवेशकों को मिलता है. इसकी ब्याज की दर 2.5 फीसदी सालाना तय है. यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल इनकम में आती है. एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है. इस पर टैक्स इस आधार पर लगता है कि करदाता किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है. हालांकि गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज पर TDS नहीं है.
मेच्योरिटी पीरियड
Sovereign Gold Bond का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल है. 8 साल पूरा होने के बाद ग्राहक को प्राप्त होने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री होगा. हालांकि यह एक विशेष कर लाभ है, जो सरकार द्वारा बॉन्ड को अधिक आकर्षक बनाने और अधिक निवेशकों को भौतिक सोने से गैर-भौतिक सोने पर शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया है. इस बॉन्ड से 2 तरीके से प्रीमैच्योरली एग्जिट होता है. ऐसा करने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हो जाते हैं.
क्या हैं लॉन्ग टर्म
आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है. इस अवधि के पूरा होने के बाद और मेच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर एडेड सेस और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी रहा है.
क्या है शॉर्ट टर्म
अगर गोल्ड बॉन्ड की बिक्री 3 साल के अंदर की जाती है तो प्राप्त होने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह निवेशक की सालाना आय में जुड़ेगा. एप्लीकेबल टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा. वहीं अगर गोल्ड बॉन्ड को खरीद की तारीख से 3 साल पूरे होने के बाद बेचा जाता है तो प्राप्त रिटर्न को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाएगा. इसमें एडेड सेस व इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.
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