सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों की एक कैटेगरी के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है. इसे कई बातें निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती हैं. उनमें सबसे प्रमुख है निवेश पर सुरक्षा की गारंटी के साथ-साथ रिटर्न की भी गारंटी. चूंकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को सरकार का समर्थन रहता है और इसे रिजर्व बैंक के द्वारा जारी किया जाता है, निवेशकों को इस बात की गारंटी मिलती है कि उनके निवेश पर कोई जोखिम नहीं आने वाला है.
इनकम टैक्स का गुणा-गणित
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड कमाई कराने के मामले में भी बेहतर साबित हुए हैं और बैंक एफडी जैसे कई अन्य समतुल्य विकल्पों पर बीस साबित हुए हैं. इससे निवेशकों को एक ओर सोने के चढ़ते भाव का फायदा मिलता ही है, साथ ही निवेशित रकम पर ब्याज का भी लाभ मिलता है. इस तरह देखें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों के लिए दोहरी कमाई का सौदा साबित हो रहा है. हालांकि इससे होने वाली कमाई पूरी तरह से टैक्स-फ्री नहीं है. आज हम आपको सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स का गुणा-गणित समझाने वाले हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लाभ
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कैपिटल एप्रिसिएशन के साथ सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है. यह हर 6 महीने के हिसाब से मिलता है. कैपिटल एप्रिसिएशन यानी जैसे-जैसे सोने का भाव बढ़ता है, आपके निवेश की वैल्यू भी बढ़ती है. इसमें चोरी होने या खोने का झंझट नहीं रहता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को उसी तरह से रखा जा सकता है, जैसे डीमैट अकाउंट में शेयरों को रखा जाता है. मतलब मेंटनेंस का भी खास झंझट नहीं.
ब्याज से कमाई पर इनकम टैक्स
इससे होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स की बात करें तो, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में जो 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है, वह टैक्सेबल होता है. इस कमाई को इनकम टैक्सपेयर की मूल कमाई में जोड़ा जाता है. उसके बाद इनकम टैक्स के जिस स्लैब में टोटल इनकम जाती है, उसके हिसाब से टैक्स की देनदारी बनती है. मतलब सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के ब्याज से होने वाली कमाई टैक्सेबल है.
शॉर्ट/लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से दूसरी कमाई तब होती है, जब इन्वेस्टर उसे रिडीम कराता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को बेचने पर सब्सक्राइबर को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है. होल्डिंग पीरियड यानी आपने कितने समय गोल्ड बॉन्ड को अपने पास रखा, उसके हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन या लॉन्ग टर्म कैनिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है. 1 साल से कम होल्डिंग पीरियड पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. वहीं साल भर से ज्यादा हो जाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है.
इस मामले में नहीं लगेगा टैक्स
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कमाई एक सूरत में टैक्स-फ्री भी हो जाती है. अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योर होने तक होल्ड करते हैं तो आपको उस समय होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी 8 साल में होती है. यानी अगर आप एसजीबी को 8 साल होल्ड करते हैं तो मैच्योरिटी अकाउंट पर इनकम टैक्स की देनदारी नहीं बनेगी.
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