RBI Liberalised Remittance Scheme: इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशी मुद्रा में किया जाने वाला खर्च अब बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक के एलआरएस  (Liberalised Remittance Scheme) में आ गया है. इसके तहत कोई भी निवासी विदेश में ज्यादा से ज्यादा 2.50 लाख डॉलर ही सालाना खर्च कर सकता है. लेकिन इससे ज्यादा विदेशी मुद्रा के रूप में रकम खर्च करने पर आरबीआई से मंजूरी लेनी होगी. 


वित्त मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन संशोधन नियम (Foreign Exchange Management (Current Account Transactions) (Amendment) Rules 2023 को नोटिफाई करते हुए कहा है कि इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेश में किए गए खर्च को भी एलआरएस  (Liberalised Remittance Scheme) में शामिल किया जा रहा है. इससे पहले इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिये विदेश में किया जाने वाला खर्च एलआरएस में शामिल नहीं था. 


वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के साथ चर्चा करने के बाद ये नोटिफिकेशन जारी कर विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियम, 2000 की धारा सात को हटा दिया है. इससे विदेश में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया गया भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गया है. इससे पहले इस वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए बजट में टीसीएस रेट को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया था. नया टैक्स रेट एक जुलाई 2023 से लागू होने जा रहा है. इसके तहत पढ़ाई और मेडिकल खर्च को छोड़कर एलआरएस के तहत विदेशी टूर पैकेज या फिर दूसरे खर्च पर ये नियम लागू होगा. 


इस नियम के लागू होने के बाद विदेशों में घूमने जाने पर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड पर आरबीआई की निगरानी बढ़ जाएगी. साथ ही क्रेडिट कार्ड से विदेशों में पेमेंट करने टैक्स कलेक्शन ऑफ सोर्स यानि टीसीएस से बचना आसान नहीं होगा. साथ ही विदेश घूमने जाने पर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा. और जैसे ही 2.50 लाख डॉलर से ज्यादा कोई खर्च करेगा उसपर टीसीएस का भुगतान करना होगा. 


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