महाराष्ट्र की अगुवाई में सभी राज्यों का सामूहिक रूप से स्टाम्प शुल्क (Stamp Duty) और पंजीकरण शुल्क संग्रह (Registration Fee Collection) चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीने में 100100 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. बीते 2020-21 के पूरे वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 1,27,700 करोड़ रुपये रहा था.


28 राज्यों के जारी किए आंकड़े
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने राज्यवार आंकड़ों की जानकारी दी है. राज्यवार आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि चालू वित्तवर्ष की अप्रैल-नवंबर की अवधि में 28 राज्यों का एवरेज मंथली कलेक्शन 12,500 करोड़ रुपये रहा. यह महामारी-पूर्व के 12,800 करोड़ रुपये के स्तर से कुछ कम है, लेकिन यह 2020-21 के 10,600 करोड़ रुपये के आंकड़े से अधिक है.


8 महीने में 17,097 करोड़ रहा कलेक्शन
रिपोर्ट में हालांकि, 2020-21 की समान अवधि के तुलनात्मक आंकड़े नहीं दिए गए हैं, क्योंकि उस समय देश में महामारी का संकट जारी था. आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई और पुणे के बूते महाराष्ट्र का स्टाम्प और पंजीकरण शुल्क संग्रह पहले आठ माह में 17,097 करोड़ रुपये रहा. 


यूपी, कर्नाटक और तमिलनाडु का कितना रहा कलेक्शन?
आपको बता दें कुल संग्रह में महाराष्ट्र का हिस्सा 17.1 फीसदी रहा है. उसके बाद क्रमश: उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक का स्थान रहा है. इन राज्यों का संग्रह क्रमश: 12,800 करोड़ रुपये, 8,700 करोड़ रुपये और 8,400 करोड़ रुपये रहा.


जानें किस राज्य का कितना रहा कलेक्शन?
वित्त वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र का कुल संग्रह 25,427 करोड़ रुपये रहा था. यह देश के सभी राज्यों के कुल संग्रह का 19.9 फीसदी बैठता है. इसके बाद उत्तर प्रदेश 16,475 करोड़ रुपये के संग्रह के साथ दूसरे स्थान पर रहा. कुल संग्रह में उसका हिस्सा 12.9 फीसदी रहा. तमिलनाडु 11,675 करोड़ रुपये या 9.1 फीसदी के साथ तीसरे और कर्नाटक 10,576 करोड़ रुपये या 8.3 फीसदी के साथ चौथे स्थान पर रहा.


इन राज्यों के बाद क्रमश: गुजरात (7,390 करोड़ रुपये या 5.8 फीसदी),तेलंगाना (5,243 करोड़ रुपये या 4.1 फीसदी) और हरियाणा 5,157 करोड़ रुपये या चार फीसदी का स्थान रहा.


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