S&P Ratings For India: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने कहा कि उसने भारत के लिए अपने आउटलुक को बदलकर स्टेबल से पॉजिटिव में संशोधित कर दिया है. भारत के मजबूत विकास और सरकारी खर्च की बढ़ती क्वालिटी की वजह से ये फैसला लिया है. इसके साथ ही, रेटिंग एजेंसी ने देश की 'बीबीबी-' लॉन्ग टर्म और 'ए-3' शॉर्ट टर्म अवांछित फॉरेन और लोकल करेंसी सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की. इसके अलावा एसएंडपी ने एक बयान में कहा कि अगले 24 महीनों में रेटिंग ऊंची हो सकती है.


भारत सरकार का कर्ज का बोझ कम होने की जताई उम्मीद


ग्लोबल रेटिंग फर्म ने कहा, "हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी बातें अगले दो से तीन सालों में विकास की गति को मजबूत करेंगी." पॉजिटिव आउटलुक दर्शाता है कि लगातार पॉलिसी के मोर्चे पर स्थिरता, गहराते आर्थिक सुधार और उच्च बुनियादी ढांचा निवेश लॉन्ग टर्म के लिए इस देश की विकास संभावनाओं को बनाए रखेंगे. सतर्क राजकोषीय और मॉनिटरी पॉलिसी के साथ-साथ जो आर्थिक लचीलापन अपनाया गया है वो अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए सरकार के बढ़े हुए कर्ज और ब्याज के बोझ को कम कर सकता है.


भारत के लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर भी एसएंडपी ने दिया आउटलुक


इसके अलावा एसएंडपी ने कहा कि देश सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनावों का गवाह बन रहा है. 1 जून को सातवें और आखिरी चरण का मतदान होगा और 4 जून को चुनाव के नतीजों की घोषणा होगी. एसएंडपी ने कहा, "चुनाव परिणाम के बावजूद, हम आर्थिक क्षेत्र में व्यापक निरंतरता की उम्मीद करते हैं, जिसमें वित्तीय सुधार और राजकोषीय नीतियां सभी के फैक्टर को शामिल किया गया है."


राजकोषीय घाटा कम होने को लेकर एसएंडपी आशावान


भारत के आर्थिक आंकड़ों पर एसएंडपी ने कहा कि अगर देश का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम हो जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकता है. जैसे कि अगर सामान्य सरकारी कर्जों में नेट इंफ्रास्ट्रक्चर बेस पर लोन भारत की जीडीपी के 7 फीसदी से कम हो जाता है तो इसे अच्छा संकेत माना जाएगा.


एसएंडपी के ताजा आउटलुक की खास बातें



  • एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग बरकरार रखी और आउटलुक को 'स्टेबल' से बढ़ाकर 'पॉजिटिव' कर दिया है.

  • बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश में लंबी बढ़ोतरी आर्थिक विकास की गतिशीलता को बढ़ाएगी.

  • इसके जरिए राजकोषीय समायोजन के साथ मिलकर भारत के कमजोर सार्वजनिक वित्त को कम किया जा सकता है.

  • अगर केंद्र और राज्यों का संयुक्त घाटा जीडीपी के सात फीसदी से नीचे आ जाता है तो भारत की रेटिंग बढ़ाई जा सकती है.

  • महंगाई दर कम करने में आरबीआई की पॉलिसी के असर और विश्वसनीयता में पर्याप्त सुधार से भारत की रेटिंग बढ़ाई जा सकती है.


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