(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Startup Classroom: क्या है वर्क लाइफ बैलेंस? स्टार्टअप क्लासरूम में जानें आपके लिए क्या है खास
Startup Classroom: बिजनेस की भागदौड़ में भी अपने और अपनों के लिए समय निकालना और अपने शौक पूरे करने के लिए समय निकालना भी वर्क लाइफ बैलेंस के अंतर्गत ही आता है.
Startup Classroom: क्या है वर्क लाइफ बैलेंस? इसका अर्थ सभी के लिए अलग अलग हो सकता है, लेकिन एक कॉमन ग्राउंड पर देखा जाये तो अपने जॉब या बिजनेस में रहते हुए, अपने खुद के लिए, अपने आस पास के लोगों के लिए, अपने परिवार के लिए और साथ ही और भी जो सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं उनके लिए समय निकाल पाना ही वर्क लाइफ बैलेंस है. हांलांकि ये अक्सर देखा गया है कि बिज़नेस की शुरुआत में समय की डिमांड बहुत ज्यादा होती है ऐसे में हमारे आस पास के लोगों को हम अक्सर समय नहीं दे पाते हैं. बस इसी भागदौड़ में एक सामंजस्य स्थापित करना ही वर्क लाइफ बैलेंस है.
कैसे करें वर्क लाइफ बैलेंस –
अपने वर्क लाइफ बैलेंस की शुरुआत समय निर्धारित करने से करनी चाहिए. काम और पर्सनल लाइफ के लिए समय निर्धारित करें कि ये आपका वर्क टाइम है और ये सेल्फ या फैमिली टाइम. कोशिश करें कि दोनों को एक दूसरे के अन्दर दखलंदाजी ना करने दें. जैसे सुबह ऑफिस से पहले, ऑफिस के बाद, सन्डे को काम करने की आदत को कम करें. इन्हें अपने लिए कुछ पढ़ने, दूसरे शौक पूरे करने, तथा फैमिली के लोगों के साथ बिताने के लिए इस्तेमाल करें. यहां एक बात जरूर समझनी चाहिए कि सफलता केवल आपकी मेहनत से नहीं आती है, इसमें आपके परिवार का भी बहुत बड़ा हाथ होता है.
काम को डेलिगेट करना सीखें
सब कुछ खुद करने की आदत से बचें, अक्सर फाउंडर्स को आदत होती है- हर काम को खुद से करने या अपने आपको हर छोटी बड़ी चीज में इन्वॉल्व करने की. अपनी टीम में उनके टेलेंट के हिसाब से उनका काम बांट दें. यहीं से आप अपने आपको फ्री रख पायेंगे और अपने आस पास के लोगों के लिए ज्यादा वक्त निकाल पाएंगे.
ब्रेक लेते रहें
लगातार काम करना हो सकता है कि काम ज्यादा करने जैसा लगे. हालांकि सममय समय पर ब्रेक नहीं लेने से काम में इफेक्टिवनेस कम हो जाती है और साथ ही सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. ध्यान रहे, हमारी बॉडी को भी आराम चाहिए, और उसके लिए आपको बीच बीच में ब्रेक लेते रहना चाहिए.
छुट्टी मनाने से ना चूकें
अपने लिए समय निकालिए, ब्रेक लीजिये, कुछ दिनों के लिए काम और ऑफिस से ऑफ लीजिये. आप देखेंगे कि इससे आपके काम पर पॉजिटिव असर पड़ता है, आपके दिमाग को आराम मिलता है, आप ज्यादा एनर्जेटिक और क्रिएटिव फील करते हैं.
बुद्ध दर्शन में कहा गया है कि मध्यम मार्ग ही उत्तम मार्ग है, संस्कृत के श्लोक में कहा गया है कि 'अति सर्वर्त्र वर्जयेत' यानी किसी भी चीज की अधिकता नुकसान करती है. चाहे वो काम हो या पर्सनल लाइफ हो. आपको यहां दोनों के बीच सामंजस्य स्थापित करना सीखना होगा और यही सबसे बेहतर तरीका है.
नोटः लेखक Skilling You के संस्थापक और सीईओ हैं, प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.
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