SBI के करोड़ों ग्राहकों को लगा बड़ा झटका, आपने भी लिया है लोन तो फिर बढ़ गई आपकी EMI
State Bank of India: अगर आपने भी लोन ले रखा है या फिर लेने का प्लान बना रहे हैं तो आपकी EMI और भी ज्यादा महंगी हो जाएगी. बैंक ने एक बार फिर से MCLR में इजाफा कर दिया है.
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State Bank of India MCLR Rates: देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI (State Bank of India) ने ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. अगर आपने भी लोन ले रखा है या फिर लेने का प्लान बना रहे हैं तो आपकी EMI और भी ज्यादा महंगी हो जाएगी. बैंक ने एक बार फिर से MCLR में इजाफा कर दिया है. बैंक ने बताया कि नई दरें 15 मई यानी रविवार से लागू हो गई हैं.
10 बेसिस प्वाइंट का हो गया इजाफा
आपको बता दें बैंक ने दूसरी बार MCLR में इजाफा किया है. इस बार बैंक ने 10 बेसिस प्वाइंट यानी 0.10 फीसदी की बढ़ोतरी की है. यह इजाफा सभी अवधि वाले लोन के लिए किया गया है.
क्या हो गए हैं नए रेट्स-
- SBI का ओवरनाइट, एक महीने, 3 महीने का MCLR 6.75 फीसदी से बढ़कर 6.85 फीसदी हो गया है.
- 6 महीने का MCLR बढ़कर 7.15 फीसदी हो गया है.
- इसके अलावा 1 साल का MCLR 7.20 फीसदी हो गया है.
- 2 साल के लिए MCLR 7.40 फीसदी हो गया है.
- वहीं, 3 साल का MCLR बढ़कर 7.50 फीसदी हो गया है.
किन ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
बैंक की ओर से लिए गए इस फैसला का असर उन सभी ग्राहकों को पर पड़ेगा, जिन लोगों ने होम लोन, ऑटो लोन या फिर पर्सनल लोन ले रखा है. अगर आपने भी कोई लोन ले रखा है तो आज से आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी.
अप्रैल के पहले महीने में भी हो चुका है इजाफा
आपको बता दें इससे पहले बैंक अप्रैल महीने में MCLR की दरों में इजाफा कर चुका है. साल 2019 के बाद से अबतक होम लोन के लेंडिंग रेट्स में 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा हो चुका है. हाल ही में 4 मई को आरबीआई ने अचानक रेपो रेट्स में इजाफा कर दिया है, जिसके बाद से सभी बैंकों के लोन महंगे हो गए हैं. RBI की ओर से रेपो रेट्स में किए गए इजाफे के बाद से प्राइवेट और सरकारी सभी तरह के बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं.
क्या होता है MCLR Rates?
आरबीआई के नए गाइडलाइंस के मुताबिक अब कमर्शियल बैंक बेस रेट के बदले मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर के तर्ज पर कर देते हैं. एमसीएलआर को निर्धारित करने के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फंड बहुत मायने रखता है. रेपो रेट में कोई भी बदलाव होने पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ़ फंड में तब्दीली आती है. जब होमलोन ग्राहकों के होम लोन ब्याज दरों की समीक्षा का समय आएगा तो एमसीएलआर में बढ़ोतरी के चलते उनकी ईएमआई महंगी हो जाएगी.
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