जीएसटी को लेकर राज्यों और केंद्र के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है. राज्यों के जीएसटी कंपनसेशन के सवाल पर गुरुवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका. राज्यों की वित्तीय हालत खराब है और उन्होंने कहा है कि उनके कलेक्शन में आई कमी की भरपाई केंद्र सरकार करे. लेकिन केंद्र ने साफ कह दिया है कि उसके पास मुआवजे के लिए पैसा नहीं है. वह राज्यों के घाटे की भरपाई नहीं कर सकती.
राज्यों ने कहा, उधार ले सकते हैं लेकिन केंद्र गारंटी दे
केंद्र ने कहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी कलेक्शन में कम से कम 2.35 लाख रुपये की कमी आई है. राज्यों को दो विकल्प दिए गए हैं. पहला विकल्प तो यह है कि केंद्र बाजार से कर्ज लेकर राज्यों को पैसा दे. दूसरा विकल्प यह है कि राज्य आरबीआई से कर्ज ले. राज्यों का कहना है कि वे उधार ले सकते हैं लेकिन इसकी गारंटी केंद्र सरकार को देनी होगी. सवाल ये है कि क्या राज्य सीधे आरबीआई को उधार देगा भी या नहीं? दूसरा यह भी पता नहीं कि इसकी प्रक्रिया क्या होगी? आरबीआई की शर्तें क्या होंगी?
कोविड-19 राज्यों की वित्तीय स्थिति काफी खराब कर दी है. आर्थिक गतिविधियों के ठप पड़ने से राज्यों के जीएसटी कलेक्शन में भारी कमी आई है और इसकी भरपाई के लिए उन्हें 3.1 से लेकर 3.6 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है. उनके पास अब और अतिरिक्त कर्ज लेने और सेस की अवधि को और बढ़ाने के अलावा सीमित विकल्प ही बचे हैं.
हर महीने 26 हजार करोड़ रुपये की जरूरत
यह अनुमान जीएसटी कलेक्शन के मौजूदा रुझान को देकर लगाया जा सकता है. फिलहाल इस वक्त जीएसटी कलेक्शन 65 फीसदी ही हो रहा है. राज्यों को इस वक्त हर महीने जीएसटी कम्पनसेशन तौर पर 26 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी. हालांकि केंद्र ने इस वक्त जीएसटी दरों और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार को आगे बढ़ाया है लेकिन उनका कहना है कि कोविड-19 की वजह से जीएसटी आय में कमी को देखते हुए उन्हें यह मंजूर नहीं होगा. इसके साथ ही तमाम उदयोगों की ओर से जीएसटी में कटौती करने की मांग उठने लगी है.
केंद्र-राज्यों का कर्ज इस बार GDP के 91% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के असार: रिपोर्ट
तो क्या बंद हो जाएंगे 2,000 रुपये के नोट? RBI की रिपोर्ट से मिले ये संकेत