कोविड-19 राज्यों की वित्तीय स्थिति काफी खराब कर दी है. आर्थिक गतिविधियों के ठप पड़ने से राज्यों के जीएसटी कलेक्शन में भारी कमी आई है और इसकी भरपाई के लिए उन्हें 3.1 से लेकर 3.6 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ सकती है. उनके पास अब और अतिरिक्त कर्ज लेने और सेस की अवधि को और बढ़ाने के अलावा सीमित विकल्प ही बचे हैं.


हर महीने 26 हजार करोड़ रुपये की जरूरत 


यह अनुमान जीएसटी कलेक्शन के मौजूदा रुझान को देकर लगाया जा सकता है. फिलहाल इस वक्त जीएसटी कलेक्शन 65 फीसदी ही हो रहा है. राज्यों को इस वक्त हर महीने जीएसटी कम्पनसेशन तौर पर 26 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी. हालांकि केंद्र ने इस वक्त जीएसटी दरों और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में सुधार को आगे बढ़ाया है लेकिन उनका कहना है कि कोविड-19 की वजह से जीएसटी आय में कमी को देखते हुए उन्हें यह मंजूर नहीं होगा. इसके साथ ही तमाम उदयोगों की ओर से जीएसटी में कटौती करने की मांग उठने लगी है.


राज्यों ने कहा, केंद्र इसकी हिस्सेदारी की भरपाई करे


तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करते समय वादा किया था कि अगर जीएसटी कलेक्शन हर साल 14 फीसदी से कम रहता है तो केंद्र सरकार पांच साल तक राज्यों के नुकसान की भरपाई करेगी. अब सरकार ने हाथ झाड़ लिया है. उसका कहना है कि वह राज्यों के नुकसान की भरपाई नहीं करेगी. जीएसटी काउंसिल को ही संसाधन का इंतजाम करना होगा. कोविड-19 की वजह से केंद्र के जीएसटी में भी कमी आ गई  है. राज्य अब चाहते हैं कि केंद्र सरकार मार्केट से कर्ज ले और जीएसटी में उसके हिस्से की कमी की भरपाई इससे करे. उनका कहना है कि वे भी कर्ज ले सकते हैं लेकिन केंद्र सरकार को इसकी गारंटी देनी होगी.


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