Stock Market: विधानसभा चुनाव के नतीजों में महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन की जीत और झारखंड में जेएमएम गठबंधन की सत्ता वापसी से शेयर बाजार के आने वाले सप्ताह में पॉजिटिव असर देखा जा सकता है. इसके साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा इंडेक्स एमएससीआई में नवंबर में बदलाव सोमवार से शुरू हो जाएगा जिससे इंडेक्स की मौजूदा स्थिति और आगामी संभावनाओं के अनुसार, शॉर्ट-टर्म में बाजार के लिए सकारात्मक रुझान देखने को मिल सकता है.


आगामी सप्ताह में शेयर बाजार पर देश के कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का भी असर देखने को मिल सकता है. वहीं एमएससीआई में बदलाव भी शुरू होने वाला है जिसका भी कुछ असर बाजार पर देखने को मिलेगा. इस वीक शेयर मार्केट पर ये कुछ प्रमुख कारक असर डाल सकते हैं-


आरएसआई ने ओवरसोल्ड जोन के पास एक तेजी से क्रॉसओवर में इंटर किया है,जो एक पॉजिटिव मूवमेंट का संकेत है. शॉर्ट टर्म में सें सेंटीमेंट तेजी के लिए तब तक अनुकूल समझी जाती है, जब तक इंडेक्स 23,600 के ऊपर बना रहता है. इमीडिएट रेजिस्टेंस 23,960-24,000 पर देखा गया है. 24,000 से ऊपर एक निर्णायक कदम 24,500 की ओर रैली को ट्रिगर कर सकता है. वहीं इसके विपरीत सपोर्ट को 23,750 और 23,550 पर रखा गया है.


विधानसभा चुनाव (Assembly Elections)


मार्केट के एक्सर्ट्स ने महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों को डी-स्ट्रीट के लिए अनुकूल बताया है. महाराष्ट्र एक बड़ा राज्य और देश की कमर्शियल कैपिटल भी है, जबकि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार का कोई प्रतिकूल असर नहीं दिख रहा है.


बता दें कि महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की विधानसभा चुनाव में जीत हुई है. अलांयस ने 288 सीटों में से 230 सीटों पर जीत हासिल की. इस जीत का बाजार के फिर से खुलने पर डी-स्ट्रीट के डेवलपमेंट को पॉजिटिव मूवमेंट देने की उम्मीद है. 


वहीं झारखंड में जेएमएम अलायंस ने 81 में से 56 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता वापस पा ली है जो राज्य में स्थिति के यथावत रहने का इशारा देती है.


एमएससीआई नवंबर में बदलाव


दुनिया का सबसे बड़ा इंडेक्स कंपाइलर मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (एमएससीआई) में नवंबर में बदलाव सोमवार से शुरू हो जाएगा. जिसमें बीएसई, वोल्टास, अल्केम लेबोरेटरीज, कल्याण ज्वैलर्स और ओबेरॉय रियल्टी एमएससीआई ग्लोबल स्टैंडर्ड इंडेक्स का हिस्सा बनेंगे. नतीजन, भारत में रीबैलेंस के चलते लगभग 2.5 बिलियन डॉलर का नेट एफआईआई पैसिव इनफ्लो देखने को मिल सकता है.


घरेलू बाजार अपने ओवरसीज पीयर्स, खासकर वॉल स्ट्रीट से क्यूज लेंगे.


एफआईआई/डीआईआई एक्शन


शुक्रवार को फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (एफआईआई) 1,278.37 करोड़ रुपये के नेट सेलर्स रहे, जबकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स  (डीआईआई) 1,722.15 करोड़ रुपये के खरीदार (बायर्स)थे.


फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (एफपीआई) नवंबर में अब तक 26,533 करोड़ रुपये के भारतीय इक्विटी के नेट सेलर्स रहे हैं.  इस साल यानी 2024 में अब तक कुल आउटफ्लो 19,940 करोड़ रुपये है. यह सितंबर के अंत में 1,00,245 करोड़ रुपये रहा था.


रुपया बनाम डॉलर फैक्टर


भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर की तुलना में अपने सबसे लोवेस्ट लेवल 84.5075 तक गया और फिर हायर लेवल पर बंद हुआ. दरअसल अमेरिकी डॉलर के दो साल के हायर लेवल पर पहुंचने के बीच सेंट्रल बैंक के दखल देने से करेंसी को सपोर्ट मिला तो वह ऊंचे स्तर पर बंद हुआ. हालांकि साप्ताहिक दर पर करेंसी थोड़ी कम रही.


डॉलर इंडेक्स शुक्रवार को 108.09 के पीक पॉइंट तक गया. यह नवंबर 2022 के बाद का सबसे अधिक हायर लेवल है. इससे पहले कि यह 0.5 फीसदी बढ़कर 107.69 पर पहुंचा था.  जर्मनी और यूके के कमजोर इकोनॉमी डाटा के बाद यूरो और ब्रिटिश पाउंड में कमजोरी से ग्रीनबैक को बढ़ावा मिला.


इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी ट्रेडर्स से आर्बिट्राज ट्रेडों को एक्जेक्यूट करने के लिए स्पॉट डॉलर खरीदने से बचने के लिए कहा है. आरबीएल बैंक के ट्रेजरी हेड अंशुल चांडक का कहना है, "उम्मीद है कि दिसंबर के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 तक गिर जाएगा."


नवंबर में अब तक रुपया लगभग 0.5 फीसदी तक वीक हो चुका है. दरअसल ओवरसीज इंवेस्टर्स ने लोकल इक्विटी और कर्ज से 4 बिलियन डॉलर से अधिक निकाल लिया जिससे भी रुपया कमजोर हुआ. इसके अलावा 5 नवंबर को डोनॉल्ड ट्रम्प की चुनावी जीत के बाद डॉलर में तेजी आई है.


ये भी पढ़ें


C2C IPO: निवेशकों की तिजोरी भरने के लिए तैयार है ये IPO, लिस्टिंग के दिन ही बरसेगा पैसा