लोकसभा चुनाव 2024 अब अपने अंतिम दौर में है. पांच दौर के मतदान पहले ही हो चुके हैं और अब लोकसभा चुनाव के सिर्फ दो चरण बाकी हैं. 1 जून को अंतिम चरण के मतदान के बाद 4 जून को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे. इस बीच शेयर बाजार अपने नए उच्च स्तर पर ट्रेड कर रहा है. हालांकि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद बाजार काफी वोलेटाइल रहा है.


अगले महीने के पहले सप्ताह का इंतजार


बीते एक महीने से ज्यादा समय से बाजार को चुनाव सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है. अब अगले महीने के पहले सप्ताह की 4 तारीख को जब मतगणना होगी, बाजार सीधे-सीधे चुनाव के नतीजे से प्रभावित होगा. बाजार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मौजूदा केंद्र सरकार की वापसी की उम्मीद कर रहा है. अब चुनाव के नतीजे क्या होंगे, इसे लेकर कुछ भी गारंटी के तौर पर नहीं कहा जा सकता है. एक बात लेकिन तय है कि अगर चुनाव के नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे तो आने वाले दिनों में बड़ी गिरावट देखी जा सकती है.


कम मतदान से उठ रही है आशंका


ब्रोकरेज व स्टॉक रिसर्च फर्म जेफरीज के एनालिस्ट क्रिस वुड का मानना है कि अगर मौजूदा भाजपा सरकार के अनुकूल जनमत नहीं आता है, तब बाजार में करेक्शन कर आशंका है. वुड कहते हैं- दो-तिहाई सीटों पर मतदान हो चुके हैं. ओवरऑल मतदान का प्रतिशत अब तक 2019 की तुलना में 2 पॉइंट नीचे है. इससे ऐसी आशंकाएं उठ रही हैं कि संभवत: चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए वैसे नहीं हों, जैसा पहले सोचा जा रहा था.


2004 की हार के बाद इतना गिरा था बाजार


ग्रीड एंड फीयर नोट में क्रिस वुड लिखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 10 सालों में आम लोगों के जीवन पर किसी भी अन्य वैश्विक नेता की तुलना में ज्यादा सकारात्मक असर डाला है. ऐसे में इस बात की कम ही आशंका है कि इस बार भाजपा को 2004 की तरह सेटबैक लगेगा और हार का सामना करना पड़ेगा. 2004 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को बहुमत नहीं मिल पाया था तब परिणाम आने के बाद दो दिन में बाजार 17 फीसदी टूट गया था.


भाजपा की हार से आएगी ऐसी गिरावट


अगर इस बार भी चुनाव के नतीजे 2004 की तरह रहे तो बाजार में उस समय से ज्यादा करेक्शन आ सकता है. इसका मतलब हुआ कि अगर भाजपा को सरकार बनाने का जलमत नहीं मिलता है तो बाजार 17 फीसदी से ज्यादा टूट सकता है. वहीं अगर भाजपा को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल जाता है, लेकिन 2019 की तुलना में सीटें कम रह जाती हैं, तो उसमें भी बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है. 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 303 सीटें जीतने में सफल रही थी. 


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