Investors Loss: भारतीय शेयर बाजार ( Indian Stock Market) आज भारी गिरावट के चलते निवेशकों को 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मुंबई स्टॉक एक्सचेंज ( Mumbai Stock Exchange) का सूचकांक 1000 अंक से ज्यादा नीचे जा लुढ़का तो निफ्टी 300 अंकों की गिरावट के साथ 16,000 के आंकड़ों के नीचे जा फिसला है. लगातार पांचवे दिन भारतीय बाजारों में गिरावट देखी जा रही है. 


शेयर बाजार में भारी गिरावट से निवेशकों की संपत्ति को जबरदस्त नुकसान हुआ है. बीएसई में लिस्टेड स्टॉक्स का मार्केट कैप ( Market Capitalization) भारी गिरावट के बाद 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा घट गया. बुधवार को बाजार बंद होने पर बीएसई में लिस्टेड शेयरों का मार्केट कैप 246 लाख करोड़ रुपये था जो गुरुवार को बाजार में भारी बिरवाली के चलते घटकर 241 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है. बीते एक महीने में बीएसई में सूचीबद्ध शेयरों का मार्कैट कैप करीब 34 लाख करोड़ रुपये कम हो चुका है. 


क्यों गिरे भारतीय बाजार
ग्लोबल संकेत -  दरअसल अमेरिका ( United States) में महंगाई दर ( Inflation Data) के जो आंकड़े आए हैं उसे लेकर बुधवार को अमेरिकी शेयरों बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई थी. अमेरिका के महंगाई दर के आंकड़ों में मामूली गिरावट आई है. महंगाई दर 8.5 फीसदी से घटकर 8.3 फीसदी पर आ गया है. लेकिन बाजार को इससे ज्यादा की महंगाई में कमी की उम्मीद थी. बाजार को डर है अमेरिकी फेड रिजर्व ( Federal Reserve) ब्याज दरों ( Interest Rate) में फिर से बढ़ोतरी कर सकता है. यही वजह है कि ग्लोबल संकेतों के सुबह एशियाई बाजार गिरावट के साथ खुले और इसके असर से भारतीय शेयर बाजार भी अछूता नहीं रहा.   


खुदरा महंगाई दर के आंकड़े पर नजर - आज भारत सरकार द्वारा अप्रैल महीने के लिए खुदरा महंगाई दर ( Retail Inflation Data) के आंकड़े जारी किए जायेंगे. माना जा रहा है मार्च के मुकाबले अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर में और बढ़ोतरी हो सकती है. मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी था. लेकिन अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 7.5 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान जताया जा रहा है. खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दामों में उछाल के चलते खुदरा महंगाई दर ज्यादा रह सकता है. 


रुपये में गिरावट है जारी- डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है. गुरुवार को एक डॉलर के मुकाबले रुपये घटकर अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 77.59 रुपये तक जा लुढ़का. इससे भी बाजार में बेचैनी है. इसके चलते जहां आयात महंगा होगा. जिसके चलते कंपनियां कीमतें बढ़ा सकती है जिससे घरेलू मांग पर असर पड़ेगा.  वहीं सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ सकता है. 


 


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