नई दिल्लीः शेयर बाजार में निवेश करना बच्चों का खेल नहीं है और ये काम आसान भी नहीं है. स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको कुछ बेसिक बातों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए. अगर आप चाहते हैं कि इस इंवेस्टमेंट के जरिए आपको मुनाफा कमाने और पैसे बनाने का मौका मिले तो यहां हम कुछ ऐसी बातों को बता रहे हैं जिन्हें शेयर बाजार का गुरु मंत्र आप मान सकते हैं. शेयर बाजार में पैसा लगाते समय अगर आप इन बातों को अपनाएंगे तो आप अच्छा रिटर्न भी पाएंगे और घाटे से भी बचेंगे.


शेयर बाजार के कुछ नियम या सावधानियां हैं जिन्हें अपनाकर आप इस क्षेत्र के अच्छे खिलाड़ी बन सकते हैं, जानें


ट्रेडिंग प्लान या स्ट्रेटेजी जरूर बनाएंः स्टॉक मार्केट में निवेश करना है तो आपको सबसे पहले एक ट्रेडिंग प्लान बनाना चाहिए जो आपकी सारी जरूरतों, लक्ष्यों, उम्मीदों को कवर करता हो और मुनाफे की रणनीति के तौर पर काम करे. इसके तहत आपको इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए जैसे-




  • कितने समय का निवेश करना है-लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म

  • कितना पैसा लगा सकते हैं-कितना रिस्क ले सकते हैं

  • कैपिटल एलोकेशन कितना कर सकते हैं


पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन लाएंः पोर्टफोलियो का अर्थ है कि आप शेयर बाजार में अलग अलग तरह की कंपनियों, सेक्टर्स के शेयरों पर दांव लगाएं. अपने पोर्टफोलियो में एक ही तरह की कंपनियों, एक ही तरह के सेक्टर्स की भरमार न करें बल्कि इसे डाइवर्सिफाइड यानी विविधता से भरपूर रखें.


स्टॉपलॉस का ध्यान रखें: आपने चाहे कितना ही पैसा शेयर बाजार में लगा रखा हो और चाहे कितने ही मुनाफे पर बैठे हों, स्टॉपलॉस का ध्यान जरूर रखेंगे. स्टॉपलॉस का अर्थ है कि आप कितने तक का नुकसान उठाकर किसी शेयर में बने रह सकते हैं. आपने किसी खास शेयर के लिए रिस्क उठाने की लिमिट तय कर रखी हो तो फिर उसका स्टॉपलॉस तय कर लें और उस लेवल पर आने के बाद शेयर से निकल जाएं. शेयरों में रेगुलर ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स स्टॉपलॉस की अहमियत अच्छी तरह समझते हैं और जानते हैं कि इसके जरिए वो बड़े नुकसान से बचे रह सकते हैं.


संतुलित और अनुशासित रहेंः शेयर बाजार में निवेश करते समय संयम और अनुशासन बेहद जरूरी है और इसके बिना आप सक्सेसफुल ट्रेडिंग नहीं कर सकते. अपने पोर्टफोलियो को समय समय पर मैनेज करते रहें और किसी भी शेयर के अचानक उछाल से प्रभावित न हो जाएं तब तक उसके फंडामेंटल ठीक न हों. अनुशासन से अर्थ है कि जो आपका ट्रेड है वो एक बैलेंस्ड रूप में चले और इसमें नियमित अंतराल पर आप बदलाव या अपग्रेड करते रहें.


ट्रेडिंग और इंवेस्टमेंट के बीच फर्क बनाए रखेंः एक बात जरूर ध्यान रखें कि आप ट्रेडर हैं या इंवेस्टर इसको लेकर कंफ्यूजन में ना रहें. आपको ट्रेडिंग करनी है तो आप रिस्क लेने की क्षमता भी बनाकर रखें और अगर आप इंवेस्ट कर रहे हैं तो जोखिम जितना उठा सकते हैं उसका आकलन पहले ही करके रखें. इंवेस्टमेंट और ट्रेडिंग को मिक्स न करें वर्ना आपको घाटा उठाना पड़ सकता है.


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