Stock Market Outlook 2023: भारत ने 2022 में ग्लोबल बाजारों को पीछे छोड़ दिया. इसका लचीलापन इसकी सबसे बड़ी वजह रही. मसलन, महंगाई की ऊंची दर, बढ़ती ब्याज दरें, करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव, जियो-पॉलिटिकल अस्थिरता और एफआईआई की भारी बिकवाली जैसी विपरीत वैश्विक परिस्थितियों का इसने मजबूती से सामना किया. भारतीय बाजार के इस लचीलेपन को कई संरचनात्मक सपोर्ट मिले, जिन्होंने भारत को दुनिया के मानचित्र पर उज्ज्वल भविष्य वाला बाजार बना दिया.
आप देख सकते हैं कि भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद इस साल (12 दिसंबर तक) निफ्टी करीब 7 फीसदी चढ़ा है. इसके उलट ज्यादातर ग्लोबल इंडेक्स में 10-20 फीसदी की गिरावट आई है. वास्तव में नवंबर 2022 में इसने 18,888 का फ्रेश लाइफ हाई देखा. निफ्टी मिडकैप इंडेक्स ने भी इस साल अब तक 7 फीसदी की बढ़त ली. हालांकि निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स में इस दौरान करीब 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. सरकारी (पीएसयू) बैंकों का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा. इस साल अब तक इनके शेयरों में 72 फीसदी तेजी दर्ज की गई.
भारतीय बाजार ने इन वजहों से किया बेहतर प्रदर्शन-
1. केंद्र सरकार की तरफ से पूंजीगत खर्च में तेज बढ़ोतरी, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड महामारी की चुनौतियों से उबर पाई.
2. मजबूत उपभोक्ता मांग, जिसकी झलक घरेलू अर्थव्यवस्था के शानदार आंकड़ो में मिलती है. लगातार आठवें महीने 1.4 लाख करोड़ रुपए से ऊपर रहना और मार्च 2022 से अब तक ई-वे बिल जेनरेशन 7 करोड़ से ऊपर रहना इसकी बानगी है.
इन दो कारणों से वित्त वर्ष 2020-22 के बीच भारतीय कॉरपोरेट ने 24 फीसदी की मजबूत सीएजीआर ग्रोथ दिखाई. जीडीपी और पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) जैसे अन्य फैक्टर्स ने भी महामारी के बाद मजबूती से वापसी की और तब से अब तक इन्होंने अपनी मजबूती बनाए रखी. देश में जिस तरीके से क्रेडिट ग्रोथ बढ़ रही है, उससे भी इस मजबूती का संकेत मिलता है. बीते कुछ महीनों से क्रेडिट ग्रोथ एक दशक के ऊंचे स्तर 15 फीसदी पर पहुंच गई.
इस साल कई सेक्टर्स ने साइक्लिकल अपटर्न दिखाया है यानी ये एक निश्चित अवधि में सामान्य उतार-चढ़ाव से उबरे हैं. रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, बैंकिंग और टेलिकॉम इनमें शामिल हैं. इस बीच इंडस्ट्री कंसॉलिडेशन के चलते उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल लंबी अवधि के औसत के 75 फीसदी स्तर पर पहुंच गया. इससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है. इन सबके बीच चाइना+1 और यूरोप+1 के चलते आउटसोर्सिंग बढ़ने की गुंजाइश बढ़ी है. इसके अलावा आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी सरकारी पहल की बदौलत जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान बढ़ने की संभावना है, जो अभी 15 फीसदी है.
यही नहीं, अब महंगाई से भी राहत मिलने लगी है जो कुछ महीनों से चिंता की सबसे बड़ी वजह बनी हुई थी. नवंबर-22 में यह घटकर 11 महीनों के निचले स्तर 5.88 फीसदी पर आ गई. रिटेल महंगाई की ये दर रिजर्व बैंक के टारगेट 2-6 फीसदी से कम है. बहरहाल, नए साल और उसके बाद केंद्र सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाने की दिशा में काम करेगी. इस बात की संभावना भी है कि निजी निवेश बढ़ेगा. ऐसे में निफ्टी अर्निंग शानदार बने रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2022-24 के बीच इसमें 17 फीसदी की जोरदार सीएजीआर ग्रोथ की संभावना है.
कुल मिलाकर जहां बाकी दुनिया कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है, भारत रेगिस्तान में एक नखलिस्तान की तरह खड़ा है. इस बीच घरेलू निवेश भी मजबूत बना हुआ है और एफआईआई अब बिकवाल से खरीदार बन गए हैं. निफ्टी अब 1 साल आगे के 20x पी/ई पर ट्रेड कर रहा है. हमारी राय में ये सही है.
अब हम कैलेंडर वर्ष 2023 में प्रवेश कर रहे हैं. इस दौरान मंदी की आशंका, भू-राजनीतिक जोखिम और चीन में कोविड के बढ़ते मामलों जैसे वैश्विक कारणों से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. 2023 में आरबीआई के साथ-साथ यूएस फेड की नीतिगत भी बाजार की चाल तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. पॉलिसी रेट्स के मामले में कोई ढिलाई बाजार को रफ्तार देगी. कैलेंडर वर्ष 2023 में हम दो थीम्स की उम्मीद करते हैं-क्रेडिट ग्रोथ और कैपेक्स. इसलिए बीएफएसआई, कैपिटल गुड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट, हाउसिंग, डिफेंस और रेलवेज फोकस में रह सकते हैं.
डिस्क्लेमर: (इस आलेख में तथ्य मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन की रिपोर्ट से लिए गए हैं. यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
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