शेयर बाजार निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और निवेश का पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है. हालांकि बाजार के आंकड़े निवेशकों को डराने वाले हैं. शेयर बाजार में ज्यादातर निवेशकों खासकर छोटे निवेशकों को नुकसान ही उठाना पड़ता है, भले ही वे डेरिवेटिव सेगमेंट की जगह कैश सेगमेंट में पैसे लगा रहे हों.


इंट्राडे में इतने निवेशक कराते हैं नुकसान


बाजार नियामक सेबी की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2023 में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेड करने वाले हर 10 निवेशकों में से 7 को नुकसान उठाना पड़ा. इसका मतलब हुआ कि कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेड करने वाले 70 फीसदी निवेशकों को नुकसान हुआ. यह बताता है कि इंट्राडे ट्रेड करने वाले ज्यादातर इन्वेस्टर बाजार में पैसे गंवाते हैं.


4 गुने से ज्यादा बढ़ी निवेशकों की संख्या


सेबी की रिपोर्ट बताती है कि जैसे-जैसे बाजार में निवेशकों की संख्या में इजाफा हो रहा है, इंट्राडे में ट्रेड करने वाले इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स की संख्या भी बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 से वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान इक्विटी कैश सेगमेंट में इंट्राडे ट्रेड करने वाले निवेशकों की संख्या में 300 फीसदी से ज्यादा यानी 4 गुने से ज्यादा की तेजी आई. रिपोर्ट के अनुसार, कैश सेगमेंट में मौजूद हर तीन में से एक इन्वेस्टर ने इंट्राडे ट्रेड में हिस्सा लिया.


एफएंडओ में और ज्यादा खराब हाल


इससे पहले सेबी ने फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेड करने वालों के बारे में कुछ समय पहले एक रिपोर्ट जारी की थी. उसमें बाजार नियामक ने बताया था कि बाजार के डेरिवेटिव सेगमेंट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस में ट्रेड करने वाले खुदरा निवेशकों में 90 फीसदी से ज्यादा को नुकसान उठाना पड़ता है. सेबी निवेशकों को लगातार फ्यूचर एंड ऑप्शंस से दूर रहने की सलाह देता आया है.


सबसे ज्यादा युवाओं को हो रहा नुकसान


अब ताजी रिपोर्ट की बात करें तो इंट्राडे में भी एफएंडओ की तरह सबसे ज्यादा युवा निवेशक हिस्सा ले रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार इंट्राडे सेगमेंट में घाटा उठाने वाले 76 फीसदी निवेशक 30 साल से कम उम्र वाले हैं. वित्त वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेड करने वाले युवा निवेशकों (30 साल से कम उम्र वाले) की संख्या महज 18 फीसदी से बढ़कर 48 फीसदी पर पहुंच गई है.


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