शेयर बाजार के निवेशकों के लिए पिछले महीने पेश हुआ बजट अच्छा नहीं रहा. बजट में बाजार के निवेशकों के ऊपर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया गया. वित्त मंत्री ने कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव करने के साथ-साथ एसटीटी को बढ़ाने का भी ऐलान किया, जबकि लंबे समय से उसे हटाने की मांग चल रही है. अब वित्त मंत्री ने एसटीटी को बरकरार रखने का कारण बताया है.


कमाई नहीं, इस कारण बरकरार है एसटीटी


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में शेयर बाजार और उससे जुड़े टैक्सेशन पर बातें की. उन्होंने संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में बताया- सदन के एक सदस्य ने एसटीटी की दर की बात उठाई है और उन्होंने पुराने वादे की याद दिलाई है कि अगर कैपिटल गेन टैक्स लग रहा है तो कुछ समय बाद एसटीटी को हटा दिया जाएगा. मतलब अगर कैपिटल गेन टैक्स लग रहा है तो एसटीटी नहीं होना चाहिए. लेकिन हमने एसटीटी को रखा है, क्योंकि इससे हमें बड़े खर्च को ट्रेस करने में और टैक्स बेस को बढ़ाने में मदद मिलती है. साथ ही उन्होंने जोड़ा कि एसटीटी लगाए रखने के पीछे का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को टैक्स के दायरे में लाना है, जो बड़े अमाउंट खर्च कर रहे हैं. इसका प्राथमिक कारण राजस्व नहीं है.


2004 के बजट में हुआ था एसटीटी का प्रावधान


एसटीटी यानी सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स को भारत में 2004 में लागू किया गया था. तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2004 का बजट पेश करते हुए एसटीटी लगाने का ऐलान किया था. उसके साथ ही उन्होंने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को हटाने का भी ऐलान किया था. हालांकि बाद में साल 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फिर से 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को लागू कर दिया था. उस समय कहा गया था कि कुछ समय बाद एसटीटी को हटा दिया जाएगा.


इस साल बजट में डबल हुई एसटीटी की दर


हालांकि एसटीटी को हटाया तो नहीं गया, लेकिन उसकी दरें जरूर बढ़ा दी गई हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 23 जुलाई को वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करते हुए एसटीटी की दर को 0.01 फीसदी से बढ़ाकर 0.02 फीसदी करने का ऐलान किया. यानी एसटीटी की दर को सीधे डबल कर दिया गया. सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स में यह बदलाव डेरिवेटिव सेगमेंट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस के लिए है.


2018 से हर बजट में बढ़ती है उम्मीद


साल 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को फिर से लागू किए जाने के बाद शेयर बाजार के ट्रेडर और इन्वेस्टर हर साल बजट से पहले एसटीटी को हटाए जाने की उम्मीद लगाते हैं, लेकिन हर साल उन्हें निराशा होना पड़ता है. इस बार तो सरकार ने एसटीटी की दर को डबल कर राहत देने की जगह पर नया झटका दे दिया है.


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