FPI Investment: भारी बिकवाली के बाद एफपीआई का यू-टर्न, जून महीने में खरीदे इतने के शेयर
FPI Buying June 2024: इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही भारतीय बाजार में भारी बिकवाली कर रहे विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने जून महीने में पहली बार अपने रुख में बदलाव किया है...
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नए वित्त वर्ष में पहली बार भारतीय बााजर में यू-टर्न लिया है. वित्त वर्ष की शुरुआत से ही लगातार बिकवाली कर रहे एफपीआई ने जून महीने में भारतीय बाजार में खरीदारी पर ध्यान दिया है. उन्होंने वित्त वर्ष के तीसरे महीने में 26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के इंडियन इक्विटीज की खरीदारी की.
जून के पहले दो सप्ताह तक हुई बिकवाली
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में एफपीआई ने 25,565 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की खरीदारी की. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के रुख में जून महीने के आखिरी दो सप्ताह में बदलाव आया है. उससे पहले शुरुआती दो सप्ताह के दौरान तो एफपीओ की बीते दो महीने से जारी बिकवाली का दौर ही बरकरार होता दिख रहा था.
वित्त वर्ष में पहली बार एफपीआई बने लिवाल
जून महीने के शुरुआती दो सप्ताह में एफपीआई ने लगभग 15 हजार करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की थी. उससे पहले मई महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 25,586 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की थी. वहीं चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में एफपीआई 8,671 करोड़ रुपये के बिकवाल रहे थे. इस तरह लगातार दो महीने बिकवाल रहने के बाद जून में एफपीआई लिवाल बने हैं.
पूरे साल के हिसाब से अब भी बिकवाली
एफपीआई ने साल के पहले महीने यानी जनवरी 2024 में 25,744 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की थी. हालांकि उसके बाद दो महीने वे लिवाल बने रहे थे. फरवरी 2024 में एफपीआई ने 1,539 करोड़ रुपये के शेयरों की लिवाली की थी. उसके बाद मार्च में एफपीआई ने 35,098 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की थी. लेकिन उसके बाद फिर से वे बिकवाली करने लग गए थे.
इन कारणों से एफपीआई ने बदला रुख
जून महीने में एफपीआई ऐसे समय लिवाली की राह पर वापस लौटे हैं, जब कुछ ही दिनों बाद वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल से शुरू हो रहे महीने के तीसरे सप्ताह के दौरान 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करेंगी. उससे पहले जेएम फाइनेंशियल ने अपने इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को जगह दी है. उससे भी एफपीआई को रुख बदलने का प्रोत्साहन मिला है.
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