अगस्त महीना विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए शुरुआत में बहुत खराब साबित हुआ, लेकिन अंत में आकर बाजार को बड़ी राहत मिली. अंतिम कुछ सेशनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अपने रुख में बदलाव किया और महीना ओवरऑल लिवाली वाला साबित हुआ.
डेट कैटेगरी में खूब आए डॉलर
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त महीने के दौरान एफपीआई ने 7,320 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की खरीदारी की. इस तरह अगस्त लगातार तीसरा महीना साबित हुआ, जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों के शुद्ध खरीदार साबित हुए. इक्विटी के साथ ही डेट, हाइब्रिड और डेट-वीआरआर के आंकड़ों को मिलाने से एफपीआई का शुद्ध निवेश 25,493 करोड़ रुपये रहा. अकेले डेट में अगस्त महीने के दौरान उनका निवेश 17,960 करोड़ रुपये का रहा.
महीने के अंत में बदला एफपीआई का रुख
हालांकि अगस्त महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की शुरुआत भारी बिकवाली के साथ हुई थी और ऐसा लग रहा था कि जून के बीच से शुरू हुए इनफ्लो पर वापस ब्रेक लगने वाला है. भारतीय बाजार में एफपीआई लंबी बिकवाली के बाद जून महीने से लिवाली की राह पर लौटे थे. जून में उन्होंने भारतीय शेयरों में 26,565 करोड़ रुपये का निवेश किया था. वहीं जुलाई महीने में भारतीय शेयरों में उनका निवेश 32,365 करोड़ रुपये रहा था.
बिकवाली से शुरू हुआ था वित्त वर्ष
एफपीआई ने वित्त वर्ष की शुरुआत बिकवाली से की थी. वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में एफपीआई ने 8,671 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. उसके बाद मई महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 25,586 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की थी. एफपीआई ने जनवरी में 25,744 करोड़ रुपये की बिकवाली और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये व मार्च में 35,098 करोड़ रुपये की खरीदारी की थी.
दुनिया में सबसे महंगा हुआ भारत का बाजार
एनालिस्ट का कहना है कि एफपीआई कैश मार्केट में अधिक वैल्यूएशन के चलते बिकवाली कर रहे हैं. उनका निवेश मुख्य रूप से प्राइमरी मार्केट के जरिए आ रहा है. उनका कहना है कि भारत अभी दुनिया का सबसे एक्सपेंसिव बाजार है. ऐसे में एफपीआई के पास सस्ते बाजारों में निवेश करने का पर्याप्त विकल्प उपलब्ध है, जिसे वे प्राथमिकता दे रहे हैं.
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