भारतीय शेयर बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) एक बार फिर से बिकवाली की राह पकड़ चुके हैं. इस महीने की शुरुआत से हो रही बिकवाली लगातार तेज होती जा रही है. इस महीने में तो एफपीआई ने अभी ही भारतीय शेयरों की बिक्री का आंकड़ा 21 हजार करोड़ रुपये के पार कर दिया है.


बिकवाली और बढ़ने की आशंका


नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, 16 अगस्त तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने कुल 21,201 करोड़ रुपये के शेयरों की भारतीय बाजार में बिकवाली की. अभी अगस्त महीने में पूरे दो सप्ताह बचे हुए हैं. अगर एफपीआई की बिकवाली की यही रफ्तार अंत तक बनी रही तो अगस्त के समाप्त होते-होते आंकड़ा काफी बढ़ सकता है.


पूरे साल का आंकड़ा निगेटिव होने का खतरा


अगस्त महीने में अब तक की गई बिकवाली के चलते पूरे साल का आंकड़ा भी निगेटिव में जाने का खतरा मंडाराने लगा है. आधे अगस्त तक हुई बिकवाली के बाद एफपीआई पूरे 2024 के हिसाब से अब सिर्फ 14,365 करोड़ रुपये के इन्वेस्टर बचे हुए हैं.


जून और जुलाई में खरीद रहे थे शेयर


इससे पहले जुलाई महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 32,365 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की खरीदारी की थी. वहीं जून महीने में एफपीआई ने 25,565 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की खरीदारी की थी. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लंबी बिकवाली के बाद जून के मध्य में भारतीय शेयरों की लिवाली करने की शुरुआत की थी. करीब डेढ़ महीने की लिवाली के बाद अभी वे फिर से बिकवाल हो गए हैं.


बिकवाली से शुरू हुआ साल और वित्त वर्ष


एफपीआई ने इस वित्त वर्ष की शुरुआत ही बिकवाली के साथ की थी. उन्होंने वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में 8,671 करोड़ रुपये की और उसके बाद मई महीने में 25,586 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की थी. साल के पहले महीने जनवरी 2024 में भी एफपीआई 25,744 करोड़ रुपये के बिकवाल रहे थे. हालांकि उसके बाद एफपीआई के द्वारा फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये और मार्च में 35,098 करोड़ रुपये की लिवाली की गई थी.


इस कारण भारतीय शेयर बेच रहे एफपीआई


एक्सपर्ट बताते हैं कि एफपीआई अगस्त महीने में प्राइमरी मार्केट में खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन एक्सचेंज (सेकेंडरी मार्केट) के जरिए भारी बिकवाली कर रहे हैं. इसका मतलब हुआ कि विदेशी निवेशक आईपीओ और अन्य इश्यू में तो अभी भी पैसे लगा रहे हैं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा पैसे पहले खरीदे जा चुके शेयरों को बेचकर निकाल ले रहे हैं. एफपीआई की निकासी का सबसे बड़ा कारण आर्थिक मंदी की बढ़ी आशंका है. आने वाले दिनों में यूएस फेड के रुख से एफपीआई के फ्लो पर असर पड़ सकता है.


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