देश के प्रमुख शेयर बाजारों में से एक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आईपीओ और उसके शेयरों की लिस्टिंग का इंतजार लंबा होता जा रहा है. निवेशक सालों से उसका इंतजार कर रहे हैं. बाजार नियामक सेबी ने अब दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि एनएसई के आईपीओ और उसके शेयरों की लिस्टिंग में क्यों देरी हो रही है.


आईपीओ में देरी के लिए खुद एनएसई जिम्मेदार


सेबी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि एनएसई ने अपनी लिस्टिंग को लेकर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी एनओसी की कोई फ्रेश डिमांड नहीं की है. सेबी ने साथ ही साफ किया कि आईपीओ की प्रक्रिया में देरी की वजह के लिए खुद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ही जिम्मेदार है. एनएसई के आईपीओ में हो रही देरी का सेबी के साथ कोई कनेक्शन नहीं है.


मंजूरी के बाद सेबी ने लौटा दिया ड्राफ्ट


नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आईपीओ आने की खबरें कोई नई नहीं है. कम से कम 5 साल से इस आईपीओ और एनएसई के शेयरों की लिस्टिंग की चर्चा चल रही है. एनएसई अपने प्रस्तावित आईपीओ और बाजार पर शेयरों की लिस्टिंग को लेकर सालों पहले सेबी से मंजूरी भी पा चुका था. एनएसई ने 2016 में ही इसे लेकर सेबी के पास अप्लिकेशन फाइल किया था, जिसे नियामक से मंजूरी मिल गई थी, लेकिन बाद में ड्राफ्ट लौटा दिया गया था.


लगभग 8 साल पहले आया था ड्राफ्ट


एनएसई ने अपने आईपीओ के लिए सेबी के पास सबसे पहले दिसंबर 2016 में ड्राफ्ट यानी डीआरएचपी फाइल किया था. सेबी ने उसे मंजूरी दे दी थी, लेकिन को-लोकेशन फैसिलिटीज को लेकर मामला सामने आने के बाद सेबी ने 2019 में एनएसई के ड्राफ्ट को लौटा दिया था और उसे को-लोकेशन फैसिलिटीज मामले की जांच पूरी होने के बाद नए सिरे से आईपीओ का ड्राफ्ट फाइल करने के लिए कहा था.


इस मामले की हो रही थी सुनवाई


सेबी के अनुसार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने मई 2024 में उससे फिर से संपर्क किया. उसमें एनएसई ने कुछ इन्क्वायरीज की, लेकिन उसने सेबी से अपने शेयरों की लिस्टिंग को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की मांग नहीं की. दिल्ली हाई कोर्ट में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आईपीओ की प्रक्रिया को तेज करने के संबंध में पीपुल एक्टिविज्म फोरम की अेर से फाइल की गई एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी.


ये भी पढ़ें: बड़े निवेशकों की भर गई झोली, जून तिमाही में इन दिग्गज इन्वेस्टर्स ने शेयर बाजार में बनाया मोटा माल