डेरिवेटिव सेगमेंट यानी फ्यूचर एंड ऑप्शंस के प्रति लोगों के बीच बढ़ते आकर्षण से बाजार नियामक सेबी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं. नियामक की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने एक बार फिर से इसके बढ़ते ट्रेंड पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अब यह व्यापक मुद्दा बन गया है और अब इसकी समीक्षा करने की जरूरत है.
अर्थव्यवस्था के स्तर का मुद्दा बना ये ट्रेड
सेबी चेयरपर्सन एसबीआई म्यूचुअल फंड के एक कार्यक्रम में शुक्रवार को हिस्सा ले रही थीं. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान कहा- पहले यह एक इन्वेस्टर के स्तर का छोटा मसला (माइक्रो इश्यू) था, लेकिन अब अर्थव्यवस्था के स्तर का बड़ा मसला (मैक्रो इश्यू) बन गया है. यही कारण है कि हम समीक्षा करने के लिए बाध्य महसूस कर रहे हैं.
घाटा उठाते हैं 10 में 9 निवेशक
सेबी चेयरपर्सन की यह चिंता अनायास नहीं है. पिछले कुछ समय में एफएंडओर सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है. फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेगमेंट को काफी जोखिम भरा माना जाता है. सेबी के आंकड़े बताते हैं कि एफएंडओ सेगमेंट में हर 10 में से 9 खुदरा निवेशक घाटा ही उठाते हैं. यही कारण है कि एक्सपर्ट निवेशकों को डेरिवेटिव सेगमेंट से दूर ही रहने की सलाह देते हैं.
वित्त मंत्री भी जता चुकी हैं चिंता
सेबी इससे पहले भी कई बार फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग पर चिंता जाहिर कर चुका है. बाजार नियामक एफएंडओ सेगमेंट के प्रति आकर्षण को कम करने के लिए समय-समय पर विभिन्न उपाय भी करते रहता है. अभी तक सेबी के प्रयास मुख्य रूप से निवेशकों को जागरूक व शिक्षित बनाकर सतर्क करने का रहा है. फ्यूचर एंड ऑप्शंस में निवेशकों की बढ़ती भागीदारी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी चिंता जाहिर कर चुकी हैं.
युवा उठा रहे हैं सबसे ज्यादा नुकसान
बकौल सेबी प्रमुख, फ्यूचर एंड ऑप्शंस सेगमेंट पूरी तरह से स्पेकुलेशन पर आधारित है. लोगों को जिस पैसे का इस्तेमाल पूंजी बनाने के लिए करना चाहिए, वह स्पेकुलेशन पर आधारित फ्यूचर एंड ऑप्शंस में घुस रहा है. युवा इस तरह के ट्रेड में भारी स्तर पर पैसे डूबा रहे हैं. उन्होंने इस बात के साफ संकेत दिए कि आने वाले दिनों में सेबी ऐसे ट्रेड से निवेशकों को दूर करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है.
ये भी पढ़ें: युवाओं के कौशल विकास पर ध्यान देने की जरूरत! बजट से शिक्षाविदों को ये उम्मीद