Disinvestment: टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स ने 12,100 करोड़ रुपये की सबसे ज्यादा लगाई बोली लगाकर खरीदा नीलांचल इस्पात को
Tata Steel To Buy NINL: 12,100 करोड़ रुपये की बोली लगाने के बाद टीएसपीएल को नीलांचल इस्पात का मालिकाना हक सौंपने की मंजूरी दे दी गई है.
![Disinvestment: टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स ने 12,100 करोड़ रुपये की सबसे ज्यादा लगाई बोली लगाकर खरीदा नीलांचल इस्पात को Strategic Buyer Approved for Privatisation of Neelachal Ispat Nigam Ltd Tata Steel Long Products to Buy in 12,100 crore rupees Disinvestment: टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स ने 12,100 करोड़ रुपये की सबसे ज्यादा लगाई बोली लगाकर खरीदा नीलांचल इस्पात को](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/02/09/22cd49c429e4d19ce92d03e75b5c5053_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Disinvestment: नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड ( Neelachal Ispat Nigam Ltd) अब मालिकाना हक अब टाटा समूह की कंपनी टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Tata Steel Long Products Limited (TSLP)के पास होगा. सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी की अध्यक्षता वाली कमिटी ने 12,100 करोड़ रुपये की बोली लगाने के बाद टीएसपीएल को नीलांचल इस्पात का मालिकाना हक सौंपने की मंजूरी दे दी है. नितिन गडकरी के अलावा इस कमिटी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल थे. और इस कमिटी को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने अधिकृत किया था.
नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (Neelachal Ispat Nigam Ltd) के लिए तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी जिसमें टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स के अलावा जिंदल स्टील पावर लिमिटेड - मालवा स्टील पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यु स्कील शामिल थी. लेकिन सबसे ज्यादा बोली लगाने के चलते ये कंपनी टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स को सौंपी गई.
नीलांचल इस्पात लिमिटेड में चार केंद्रीय सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां और दो ओडिशा सरकार की कंपनियां की 93.71 फीसदी हिस्सेदारी है. 4 सीपीएसई में MMTC, NMDC, BHEL और MECON शामिल हैं वहीं ओडिशा सरकारी की दो कंपनियां OMC और IPICOL की इसमें हिस्सेदारी है. नीलांचल इस्पाल का इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट ओडिशा के कलिंगनगर में स्थित है जिसकी सलाना उत्पादन क्षमता 1.1 मिट्रिक टन है. कंपनी भारी नुकसान में चल रही है और 20 मार्च 2020 से बंद है. कंपनी पर 6,600 करोड़ रुपये का कर्ज देनदारी बकाया है. जिसमें प्रोमोटर्स का 4116 करोड़ रुपये, बैंकों का 1741 करोड़ रुपये के साथ दूसरे क्रेडिटर्स और कर्मचारियों का वेतन भी बकाया है. कंपनी का नेटवर्थ 3487 करोड़ रुपये नेगेटिव में है और 4228 करोड़ रुपये का नुकसान 31 मार्च 2021 तक हुआ है.
इन कंपनियों के अनुरोध पर सरकार ने रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया की शुरुआत की. जिसमें तीन कंपनियों से बोलियां मिली. अब नीलांचल इस्पात के कारखाने में दोबारा उत्पादन चालू हो सकेगा. जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र का कायाकल्प किया जा सकेगा. एनआईएनएल के कर्मचारी शेयर खरीद समझौते (एसपीए) के अनुसार कंपनी के कर्मचारी बने रहेंगे, जो खरीदार को एक वर्ष की लॉक-इन अवधि के लिए बाध्य करता है. जब भी ऐसा कोई निर्णय लिया जाता है तो रणनीतिक खरीदार सीपीएसई पर लागू वीआरएस की शर्तों का पालन करने के लिए बाध्य होगा.
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