कोरोना संकट के बावजूद देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता जा रहा है. 29 मई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ कर 493.48 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया. दरअसल विदशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी FPI की ओर से तेज फंड फ्लो की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में यह तेज इजाफा हुआ है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ मई महीने में ही विदेशी मुद्रा भंडार में 12 .4 अरब डॉलर का भारी इजाफा हुआ है.


आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 22 मई को खत्म हुए सप्ताह से लेकर 29 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 3.50 अरब डॉलर का इजाफा हुआ. 29 मई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान भारतीय शेयरों में FPI का निवेश बढ़ कर 5,480 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. विदेशी निवेशक इस वक्त भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद रहे हैं. इस वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हो रहा है.


आयात बिल चुकाने में भारत को सहूलियत 


पिछले कुछ वक्त से कमजोर चल रहे रुपये को विदेशी मुद्रा भंडार के इस बढ़ते प्रवाह से काफी मजबूती मिली है. 29 मई को यह डॉलर के मुकाबले 75.56 पर बंद हुआ था. इसमें 34 पैसे की मजबूती देखी गई.


एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से घटती आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर डॉलर का यह भंडार इकनॉमी को काफी मजबूती देगा क्योंकि इससे अभी तक हम एक साल तक अपना आयात बिल चुका सकते हैं. इसके साथ ही यह रुपये को मजबूती दे रहा है.


रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में गोल्ड रिजर्व लगातार कम हो रहा है. पिछले सप्ताह देश में 9 करोड़ 70 लाख डॉलर का गोल्ड रिजर्व घटा है और यह 32.68 अरब डॉलर का रह गया है.


महामारी की वजह से लोग सुरक्षित जगहों और इंस्ट्रूमेंट्स पर पैसा लगा रहे हैं. हालांकि क्रूड के दाम में कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था को  राहत मिली है. इससे भारत को कच्चे तेल के आयात पर कम डॉलर खर्च करने पड़े हैं. बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार की एक बड़ी वजह यह भी है.