Subhiksha Fraud Case: कभी देश की सबसे बड़ी रिटेल चेन सुभिक्षा को चलाने वाले आर सुब्रमनियन (R Subramanian) को अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई है. पहले आईआईटी मद्रास फिर आईआईएम अहमदाबाद से पढ़कर व्यापार की दुनिया में सनसनी बनकर आए सुब्रमनियन की कहानी का अंत जेल जाकर हो गया. उन पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप सिद्ध हुआ है. कोर्ट ने सुभिक्षा के प्रमोटर सुब्रमनियन और उनके साथियों पर लगभग 190 करोड़ रुपये जुर्माना भी लगाया, जिसमें से 180 करोड़ रुपये निवशकों को लौटाए जाएंगे.
निवेशकों को धोखे में रखकर लगवाया पैसा
चेन्नई की एक विशेष अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्होंने निवेशकों को धोखे में रखा और उन्हें फर्जी स्कीमों में पैसा लगाने के लिए ललचाया. मैच्योरिटी पर उन्हें फिर से गुमराह करके नई स्कीमों में पैसा लगवाया गया. निवेशकों से शार्ट टर्म निवेश पर ज्यादा मुनाफे का लालच दिया गया था. इस तरह से सैकड़ों निवेशकों को धोखा दिया गया और उनके पैसों को विभिन्न शेल कंपनियों में लगाया गया.
इन चार फर्जी स्कीम में लगाया पैसा
सुब्रमनियन और उनके साथियों ने विश्वप्रिया इंडिया लिमिटेड के नाम पर चार स्कीम खोलीं. इनके नाम प्राइम इनवेस्ट, एसेट बैक्ड सेक्योरिटी बांड, लिक्विड प्लस और सेफ्टी प्लस थे. इन स्कीम में लोगों को फंसाया जाता था. जब पैसा देने बारी आती थी तो और भी ज्यादा फायदे का लालच देकर फिर से पैसा ले लिया जाता था. आखिरकार ये लोग फेल हो गए और इनका भंडाफोड़ हो गया.
विश्वप्रिया से 1991 में की थी सुब्रमनियन ने शुरुआत
सुब्रमनियन ने 1991 में विश्वप्रिया को एक वित्तीय सेवा कंपनी के तौर पर खोला था. यह उसकी पहली कंपनी थी. इसके बाद 1997 में सुभिक्षा की नींव डाली गई. विश्वप्रिया की स्कीमों में फंसे 587 निवेशक अभी तक अपना पैसा वापस मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
137 करोड़ रुपये के डिफॉल्ट की बात स्वीकारी
सुब्रमनियन ने अपना जुर्म स्वीकारते हुए कहा था कि सभी स्कीमों में 137 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट हुआ है. कोर्ट ने सुब्रमनियन पर 8.92 करोड़ रुपये और उसकी कंपनियों पर 191.98 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. इस पैसे में से 180 करोड़ रुपये निवेशकों को वापस करने में खर्च किए जाएंगे.
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