Success Story: वेदांता के चेयरमैन Anil Agarwal का कारोबारी सफर है बेहद दिलचस्प, जानें कैसे उन्होंने चखा सफलता का स्वाद
Vedanta Founder Anil Agarwal: वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने ट्विटर पर अपनी सफलता के राज के बारे में बताया है. उनका मानना है कि उनकी सफलता के पीछे मां के आशीर्वाद का बहुत बड़ा हाथ है.
Success Story of Vedanta Founder Anil Agarwal: वेदांता के चेयरमैन और देश के दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल (Vedanta Founder Anil Agarwal) सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव रहते हैं और अक्सर प्रेरणा देने वाली कहानियां शेयर करते रहते हैं. वह अपने जीवन के संघर्ष से संबंधित कई बातें बताते रहते हैं. हाल ही में उन्होंने अपने जीवन में मिली सफलता का राज बताया है. वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड (Vedanta Resources Limited) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने बताया कि वह अपनी इस सफलता का राज दही-चीनी को भी मानते हैं. अनिल अग्रवाल का ऐसा मानना है कि दही-चीनी खाने से उनकी पब्लिक स्पीकिंग में बहुत सुधार आया है.
बचपन से मां ने खिलाया दही चीनी-
अनिल अग्रवाल ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर करके बताया है कि किसी भी बड़े और शुभ काम से पहले मैं दही-चीनी जरूर खाता हूं. मेरी मां ने मुझे बचपन से ही दही और चीनी खिलाया है. यह न सिर्फ भारतीय परंपरा है बल्कि या हमारी मां का आशीर्वाद है. दही को तो आमतौर पर लोग शुभ मानकर खाते हैं, लेकिन यह मेरे लिए मां का आशीर्वाद है. लोग बदलते वक्त के साथ दही को योगहर्ट (Yoghurt) कहते हैं मगर यह मेरे लिए मां का आशीर्वाद है.
बिहार से खाली हाथ आए थे मुंबई
इससे पहले वेदांता के प्रमुख ने ट्विटर पर बताया था कि वह बिहार से खाली हाथ चले थे और बाद में मुंबई शहर ने उनकी किस्मत बदल दी. अग्रवाल ने बताया था कि उन्होंने बहुत कम उम्र में बिहार छोड़ दिया और खाली हाथ मुंबई आ गए थे. उनके पास उस समय केवल एक टिफिन बॉक्स था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुंबई आने के बाद उन्होंने पहली बार पीली टैक्सी और डबल डेकर बस देखी थी. मुंबई में आकर अनिल अग्रवाल ने कड़ी मेहनत की और बाद में बुलंदियों को छुआ है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर युवा मेहनत करते हैं वह कामयाबी की ऊंची उड़ान उड़ सकते हैं.
वेदांता ग्रुप आज इतना बड़ा हो चुका है
अनिल अग्रवाल बिहार के रहने वाले हैं और केवल 20 साल की उम्र में बिहार से मुंबई आ गए थे. इसके बाद उन्होंने 1970 में उन्होंने स्क्रैप मेटल बिजनेस शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने अपनी पहली कंपनी की स्थापना की जिससे उन्हें अच्छी कमाई हुई. इसके बाद साल 1976 में उन्होंने एक कंपनी शमशेर स्टर्लिंग केबल को खरीदा, लेकिन इसके बाद उनके पास कर्मचारियों को देने तक के लिए पैसे नहीं थे. इसके बाद इस कंपनी को चलाने के लिए अग्रवाल ने कुल 9 अलग-अलग बिजनेस शुरू किया मगर यह सभी असफल रहे. इसके बाद साल 1986 में भारत सरकार ने टेलीफोन केबल बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मंजूरी दे दी. इससे पहले 1980 में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (Starlight Industries) को उन्होंने खरीद लिया था. इसके बाद साल 1990 में उन्होंने कॉपर रिफाइंड (Copper Refine) का काम शुरू किया. स्टरलाइट इंडस्ट्रीज देश की पहली ऐसी प्राइवेट इंडस्ट्री थी जो कॉपर रिफाइंड (Copper Refine) का काम करती थी. इसके बाद अग्रवाल लगातार सफलता की नई कहानी लिखते चले गए और वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन के रूप में आज देश-विदेश के दिग्गज कारोबारियों में उनका विशेष स्थान है.
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