Mahakumbh 2025: देश के जाने-माने इंडस्ट्रियलिस्ट और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति तीन दिनों के लिए महाकुंभ पहुंची हुई हैं. सुधा मूर्ति ने महाकुंभ में तीन दिन के प्रवास और संगम में पुण्य की डुबकी लगाने का संकल्प लिया है. वह आज वापस लौट जाएंगी. आज महाकुंभ में अपने प्रवास के आखिरी दिन सुधा मूर्ति ने इस्कॉन के साथ मिलकर श्रद्धालुओं में महाप्रसाद का वितरण किया. 


अपने पूर्वजों के नाम तर्पण देने आईं महाकुंभ


महाकुंभ में अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए सुधा मूर्ति ने कहा कि महाकुंभ 144 सालों में एक बार आता है और उन्हें यहां आने की बेहद खुशी है. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, मेरे नाना-नानी और दादा-दादी महाकुंभ नहीं आ पाए इसलिए मैं उनके नाम पर तर्पण देने आई हूं. मुझे यहां आने का बहुत आनंद है.


इसलिए तर्पण है जरूरी


उन्होंने कहा कि वह कर्नाटक से आई हैं. उनके दादा-दादी, नाना-नानी भी महाकुंभ में आना चाहते थे, लेकिन उनके वक्त यहां तक आने की उतनी सुविधा नहीं थी इसलिए वे नहीं आ पाए. बता दें कि हिंदू धर्म में पितरों के नाम तर्पण का बहुत महत्व है. इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है. मृत पूर्वजों को जल अर्पित करने से न केवल उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, बल्कि हमें भी उनका आशीर्वाद मिलता है. पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी तर्पण जरूरी है.






सुधा मूर्ति ने की महाकुंभ में व्यवस्था की तारीफ


महाकुंभ में व्यवस्था की तारीफ करते हुए सुधा मूर्ति ने कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ में बहुत बढ़िया इंतजाम किया है. सड़कें अच्छी हैं, पूरे मेले में लाइटिंग की अच्छी व्यवस्था है. शिविरों में लोगों को बुलाकर प्रसाद ग्रहण कराया जा रहा है. सब लोग मिल-जुलकर खा-पी रहे हैं. लोग आस्था के नाम पर ऐसा कर रहे हैं क्योंकि उनकी श्रद्धा त्रिवेणी तट से जुड़ी हुई है. 


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