Sudha Murty: सुधा मूर्ति सोशल मीडिया के निशाने पर, 100 घंटे पढ़ने की सलाह दे रहे लोग- पर क्यों
Sudha Murty: सुधा मूर्ति ने सोशल मीडिया पर रक्षा बंधन की बधाई देते हुए एक वीडियो शेयर किया. उनकी सुनाई कहानी लोगों को नागवार गुजरी और नेटिजन्स ने इंफोसिस फाउंडर की पत्नी को पढ़ने की सलाह दे दी. जानें
Sudha Murty: राज्यसभा सांसद और इंफोसिस (Infosys) के फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) की पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murty) ने रक्षा बंधन के अवसर पर एक वीडियो संदेश जारी कर लोगों को इस पर्व की बधाई दी है. मगर, एक बड़ा तबका उनकी इस बधाई को स्वीकार नहीं पाया. लोगों ने उनके इतिहास ज्ञान पर सवाल खड़े शुरू कर दिए. यहां तक की लोगों ने उन्हें हर हफ्ते 100 घंटे इतिहास पढ़ने की सलाह तक दे डाली.
सुधा मूर्ति ने राखी को रानी कर्णावती और हुमायूं से जोड़ा
दरअसल, सुधा मूर्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो संदेश में कहा था कि चित्तौड़ की रानी कर्णावती (Rani Karnavati) ने 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह हुमायूं (Humayun) से अपने राज्य को बचाने की गुहार लगाते हुए राखी भेजी थी. इस वीडियो में वह कह रही थीं कि रक्षा बंधन के साथ लंबा इतिहास जुड़ा हुआ है. रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजकर इस परंपरा की शुरुआत की थी. तब के बाद से यह परंपरा आज भी जारी है. इसके बाद उन्होंने भाई-बहन के प्रेम की महत्ता के बारे में चर्चा की.
लोगों ने भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी बताई
सोशल मीडिया पर सुधा मूर्ति का यही तरीका लोगों को नागवार गुजरा. एक यूजर ने इस कहानी को बिलकुल गलत बता दिया. एक यूजर ने कमेंट किया आपको रोजाना 20 घंटे इतिहास पढ़ना चाहिए. एक अन्य ने तो उन्हें हफ्ते में 100 घंटा पढ़ने की सलाह दी है. उन्होंने लिखा कि ऐसा कभी नहीं हुआ था. कई लोगों ने उनसे अपील की कि ऐसी गलत कहानी को बढ़ावा न दें. एक यूजर ने सवाल किया है कि अगर हुमायूं उन्हें बचाने आया था तो उन्होंने जौहर क्यों कर लिया था. इन आलोचनाओं के बीच कुछ लोगों ने भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कहानी बता दी. लोगों ने लिखा कि द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई से बहते खून पर साड़ी का टुकड़ा फाड़कर बांधा था. इसके बाद भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था.
Raksha Bandhan has a rich history. When Rani Karnavati was in danger, she sent a thread to King Humayun as a symbol of sibling-hood, asking for his help. This is where the tradition of the thread began and it continues to this day. pic.twitter.com/p98lwCZ6Pp
— Smt. Sudha Murty (@SmtSudhaMurty) August 19, 2024
इस मसले पर इतिहासकारों की भी अलग राय
इस मसले पर इतिहासकारों की भी अलग राय है. कुछ लोगों ने स्वीकारा है कि रानी कर्णावती ने हुमायूं को एक ब्रेसलेट भेजा था. हालांकि, इस बात के पुख्ता सबूत न होने की बात सभी स्वीकारते हैं. सुधा मूर्ति की इस पोस्ट पर लोग इतिहास के पन्ने भी पलटने लगे. लोगों ने कहा कि रानी कर्णावती और हुमायूं एक ही काल में थे ही नहीं. ऐसे में रक्षा बंधन को उनसे जोड़ना ठीक नहीं है.
सुधा मूर्ति को मिल चुका है पद्म श्री और पद्म भूषण सम्मान
2023 में भारत सरकार ने सुधा मूर्ति को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया. इसके अलावा पिछले साल वो साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार भी हासिल कर चुकी हैं. बीते साल सुधा मूर्ति को ग्लोबल इंडियन अवार्ड भी मिला है. उनके पति नारायण मूर्ति को यही पुरस्कार 2014 में मिल चुका है, लिहाजा नारायण मूर्ति-सुधा मूर्ति इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले कपल हैं. ये अवॉर्ड हर साल एक प्रमुख भारतीय को दिया जाता है जिसने अपने चुने हुए क्षेत्र में प्रमुख छाप छोड़ी है. इसके तहत 50 हजार डॉलर की पुरस्कार राशि दी जाती है.
इंफोसिस के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति की पत्नी होने के साथ-साथ सुधा मूर्ति नॉन-प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन इंफोसिस फाउंडेशन की फाउंडर-अध्यक्ष भी है. टीचर, ऑथर और फिलॉन्थ्रॉपिस्ट (परोपकारी) के तौर पर सुधा मूर्ति ने 9 से ज्यादा नॉवेल लिखे हैं और उनके नाम कई स्टोरी कलेक्शन (कथा संग्रह) हैं.
19 अगस्त को था सुधा मूर्ति का जन्मदिन
सुधा मूर्ति का जन्मदिन बीते कल यानी 19 अगस्त को था और उनके पति नारायण मूर्ति का जन्मदिन आज 20 अगस्त को है. इनकी शादी 1978 में हुई थी और इनके दो बच्चे अक्षरा मूर्ति और रोहन मूर्ति हैं. रोहन मूर्ति इंफोसिस में 2013-2014 के दौरान वाइस-प्रेसिडेंट रहे हैं. 2014 में इंफोसिस को छोड़कर रोहन ने AI टेक कंपनी सोरोको की स्थापना की थी. इसके अलावा रोहन मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के फाउंडर भी हैं. वहीं अक्षरा मूर्ति के पति ऋषि सुनक युनाइटेड किंगडम (UK) के पूर्व प्रधानमंत्री हैं.
इंफोसिस शुरू करने के लिए सुधा मूर्ति ने नारायण मूर्ति ने दिए थे 10,000 रुपये
सुधा मूर्ति पुणे में टेल्को में काम करने के दौरान एन आर नारायणमूर्ति से मिलीं थीं. सुधा मूर्ति ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया था कि एनआर नारायण मूर्ति को इंफोसिस शुरू करने के लिए उन्होंने 10,000 रुपये दिए थे. इंजीनियर से परोपकारी का सफर तय कर चुकीं सुधा मूर्ति ने बताया कि 1981 में उनके पति ने कहा था कि वह एक सॉफ्टवेयर कंपनी शुरू करना चाहते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया था कि दोनों के पास पहले से ही अच्छी सैलरी वाली नौकरियां हैं उन्हें लगा कि वह जोखिम ले रही हैं.
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