नई दिल्ली: सब्जियों के दाम बढ़ने के बाद अब चीनी भी महंगी हो सकती है.  सरकार चीनी मिलर्स  को कीमत प्रति किलो 2 रुपये बढ़ाने की इजाजत दे सकती है. पिछले साल भी सरकार ने मिलर्स की ओर से बेची जा रही चीनी की कीमत दो रुपया बढ़ाने की इजाजत दी थी. इस बार फिर दो रुपये कीमत बढ़ाने से चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 22 हजार करोड़ रुपये का बकाया क्विलयर करने में सुविधा होगी. पिछले साल सरकार ने चीनी मिलों को 31 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चीनी बेचने की इजाजत दी थी.


भारत सरकार के सचिवों के समूह ने कहा है कि चीनी मिल तीन से पांच रुपये कीमत बढ़ाने की मांग कर रहे थे लेकिन 2 रुपये से ज्यादा कीमत बढ़ाने की गुंजाइश नहीं थी.  गन्ने और शुगर इंडस्ट्री पर नीति आयोग की टास्कफोर्स ने एक बार सिर्फ दो रुपये कीमत बढ़ाने की सिफारिश की थी. कृषि लागत और मूल्य आयोग ने 2020-21 के लिए गन्ने की फेयर एंड रेम्युनेरेटिव प्राइस (एफआरपी) दस रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की थी.


शुगर इंडस्ट्री ने कहा, आम उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा बोझ


शुगर इंडस्ट्री का कहना है कि चीनी की कीमत में इजाफा आम उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसके 65 फीसदी उत्पादन के खरीदार बल्क कंज्यूमर यानी फूड प्रोडक्ट और सॉफ्ट ड्रिंक बनाने वाली कंपनियां हैं.


शुगर इंडस्ट्री का मानना है कि पांच-छह रुपये किलो चीनी की कीमत बढ़ने से आम उपभोक्ताओं पर उतना असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इससे चीनी मिलों को उनके करंट स्टॉक के लिए 20 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे. इससे गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में इंडस्ट्री को बड़ी मदद मिलेगी.स्टेट एडवाइज्ड प्राइस के अनुसार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का करीब 22 हजार 79 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं केंद्र सरकार के फेयर एंड रेम्युनेरेटिव प्राइस के अनुसार बकाया 17 हजार 683 करोड़ रुपये है.