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चीनी की मिठास होगी थोड़ी कम, सेस लगने से बढ़ सकती है क़ीमत
इस साल चीनी की क़ीमत लगातार घटती जा रही है और चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बढ़ते बकाए के लिए इसे सबसे बड़ा कारण माना जाता है.
नई दिल्लीः मीठी चीनी फिर थोड़ी कड़वी हो सकती है. चीनी के घटते दाम और चीनी मीलों पर गन्ना किसानों के बढ़ते बक़ाए से चिंतित सरकार अब चीनी पर सेस लगाने पर विचार कर रही है. सरकार का कहना है कि सेस से जमा हुए पैसे किसानों को सब्सिडी के तौर पर दिए जाएंगे. सेस लगाने से चीनी की क़ीमत बढ़ना तय है.
चीनी की घटती क़ीमत पर चिंतित सरकार
कभी चीनी के दाम बढ़ने पर सरकार के माथे पर शिक़न आ जाती थी लेकिन इस साल हालात बदले हुए हैं. इस साल चीनी की क़ीमत लगातार घटती जा रही है और चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बढ़ते बकाए के लिए इसे सबसे बड़ा कारण माना जाता है. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक़ 2017-18 में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बक़ाया 18,804 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. जबकि 2016-17 में ये मात्रा 400 करोड़ के आसपास रह गया था. इसमें आधे से ज़्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर वहां के किसानों का हो गया है.
चीनी की क़ीमत में लगातार कमी
सरकारी आंकड़ों को मानें तो चीनी मिलों से निकलते वक्त जहां चीनी का दाम 26-27 रुपये प्रति किलो हो गया है वहीं उसकी उत्पादन लागत 32 रुपये प्रति किलो है हालांकि मुनाफ़ा भी शामिल है. रिटेल बाज़ार में चीनी की क़ीमत कुछ जगहों को छोड़कर 32-42 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है जबकि इस महीने की शुरूआत में ये 35-45 रुपये प्रति किलो था. मसलन, 1 अप्रैल को जहां दिल्ली में चीनी की ख़ुदरा क़ीमत 36 रुपये थी जो अब 33 रुपये प्रति किलो हो गई है. सरकार ख़ुद मान रही है कि चीनी के दाम घटने से किसानों और चीनी मिलों को नुकसान हो रहा है. बक़ौल केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान- 'हमें किसानों और चीनी मिलों, दोनों की चिंता करनी पड़ती है. अगर दाम गिरने से दोनों का नुकसान होता है तो ये ठीक नहीं है.
इसलिए चीनी पर लगेगा सेस
इस हालत से चिंतित सरकार अब तीन चार क़दम उठाने पर विचार कर रही है. सोमवार को इस मसले पर परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में बनी मंत्रीसमूह की बैठक हुई जिसमें चीनी पर सेस लगाने, गन्ना किसानों को उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी देने और एथेनॉल पर जीएसटी को घटाने जैसे उपायों पर विचार हुआ. सरकार चीनी पर सेस लगाकर सरकार अतिरिक्त पैसा जुटाना चाहती है जिसका इस्तेमाल गन्ना किसानों को सब्सिडी देने में किया जाएगा. ये सेस चीनी मिलों से निकलने वाली चीनी पर लगाया जाएगा और इसे वित्त मंत्रालय इकठ्ठा करेगा. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक़ पिछले साल भी इसी तरह का सेस लगाकर किसानों को सब्सिडी दी गई थी. पिछले साल किसानों को 4.50 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में दी गई थी.
3-5 रुपये प्रति किलो बढ़ सकता है दाम
ये तो अभी तय नहीं है कि चीनी पर कितना सेस लगाया जाएगा लेकिन इससे चीनी की क़ीमत तो बढ़ना तय है. खाद्य मंत्रालय से जुड़े सूत्र भी मानते हैं कि सेस लगाने से चीनी की क़ीमत में बढ़ोत्तरी होगी लेकिन दावा भी करते हैं कि दाम बढ़ने से किसानों और चीनी मिलों को ही फ़ायदा होगा. अनुमान के मुताबिक़ चीनी की क़ीमत 3-5 रुपये प्रति किलो बढ़ सकती है लेकिन ये पिछले साल से ज़्यादा नहीं होगी. सूत्रों के मुताबिक़ अगले कुछ दिनों में सरकार इन क़दमों पर अंतिम फ़ैसला ले सकती है. इसके लिए कैबिनेट में जल्द विचार हो सकता है.
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