Global Sugar Prices: दुनिया के कई देश करीब साल भर से खाने-पीने की चीजों की कमी के संकट का सामना कर रहे हैं. इस बार संकट के शिकार सिर्फ विकासशील या गरीब देश नहीं हो रहे हैं, बल्कि कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी खाद्य संकट से हांफ रही हैं. अब तमाम विश्लेषक इस मोर्चे पर राहत की उम्मीद कर ही रहे थे कि चीनी ने मिठास की जगह स्वाद को कड़वा कर दिया है. हालात ऐसे हैं कि अब चीनी के कारण खाद्य संकट के जोर पकड़ने की आशंका गहरा रही है.


इतना हो गया भाव में अंतर


ब्लूमबर्ग की एक खबर के अनुसार, सफेद चीनी के वायदा भाव में पिछले कुछ दिनों से लगातार तेजी देखी जा रही है. इस कारण कच्ची चीनी (गुड़ या खांड) पर इसका प्रीमियम छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है. लंदन में सफेद चीनी का सबसे एक्टिव कांट्रैक्ट 0.2 फीसदी चढ़ा, जबकि न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी के भाव में 0.7 फीसदी की गिरावट आई. दोनों के बीच का अंतर अब सितंबर 2022 के बाद सबसे ज्यादा हो गया है, जिससे प्रोसेस करने वाली कंपनियों के लिए मुनाफे का परिदृश्य बेहतर हो गया है.


इन कारणों से उपज कम


खबर में कहा गया है कि कई देशों में गन्ने की उपज अनुमान से खराब है. इस कारण खरीदारों को दिक्कतें आ रही हैं. थाईलैंड में उर्वरकों का कम इस्तेमाल, भारत में ज्यादा बारिश और यूरोप, मैक्सिको व चीन के कई हिस्सों में सूखे के चलते गन्ने की उपज के अनुमान कम हुए हैं, जिसका असर अंतत: चीनी की कम आपूर्ति के रूप में दिखेगा.


अभी से दिख रहे ये संकेत


थाईलैंड दुनिया में गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है. खबर में थाई शुगर मिलर्स कॉर्प के हवाले से बताया गया है कि थाईलैंड में 57 में से 5 मिलर्स ने पहले ही गन्ने की पेराई बंद कर दी है, क्योंकि उन्हें कम उपज की आशंका सता रही है. मिस्त्र और अल्जीरिया ने अपने-अपने बाजारों से चीनी के बाहर जाने को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं.


ब्राजील से नहीं मिल पाएगी राहत


वैश्विक बाजार के लिए राहत की एक बात ब्राजील से होने वाली आपूर्ति है, लेकिन ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि ब्राजील की आपूर्ति खास राहत दे पाएगी. खबर में पैरागॉन ग्लोबल मार्केट्स के मैनेजिंग डाइरेक्टर माइकल मैकडॉगाल कहते हैं कि ब्राजील कच्ची चीनी का सबसे बड़ा सप्लायर भले है, लेकिन रिफाइंड यानी सफेद चीनी का ब्राजील का उत्पादन कम है.


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