Bindeshwar Pathak Net Worth: सुलभ के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक ने 80 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा, कुल इतनी दौलत छोड़ गए पीछे
देशभर में सुलभ शौचालय के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सुलभ के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक का निधन 80 साल की उम्र में हो गया. आइए जानते हैं इनके पास कुल कितनी संपत्ति थी.
सुलभ इंटरनेशनल के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक का 80 साल की उम्र में निधन हो गया. पीटीआई के मुताबिक, एक करीबी सहयोगी ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के कारण उनकी मौत हो गई. मंगलवार को पाठक ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सुबह राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके तुरंत बाद गिर गए. बिंदेश्वर पाठक को तुरंत दिल्ली एम्स में लेकर जाया गया. अस्पताल की ओर से बताया गया कि उनकी मौत दोपहर 1.42 बजे हो गई.
वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में उनका जन्म हुआ था. उन्होंने 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने 1980 में अपनी मास्टर डिग्री और 1985 में पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी की भी पढ़ाई पूरी की थी. उन्होंने देश की स्वच्छता समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस की स्थापना की थी.
पद्म भूषण से सम्मानित थे पाठक
पाठक ने सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की थी. यह एक समाजिक सेवा संगठन है. यह संस्था शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता और अपशिष्ट का मैंनेज करता है. इसकी भूमिका देशभर में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण में मुख्य रही है. संगठन के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक को 1991 में उनके काम और पोर फ्लश टॉयलेट टेक्नोलॉजी पेश करके पर्यावरण को रोकने के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें गुड कार्पोरेट सिटिजन अवार्ड, एनर्जी ग्लोब अवार्ड, डब्ल्यूएचओ पब्लिक हेल्थ कैपेन अवार्ड दिया गया है. साथ ही उन्हें गांधी शांति पुरस्कार भी मिल चुका है.
कितनी संपत्ति के थे मालिक
सुलभ के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक की सालाना 4 से 5 मिलियन डॉलर थी. वहीं उनकी कुल नेटवर्थ 306 करोड़ रुपये है. सोशल एक्टिविस्ट पाठक ने देश को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में कई अहम भूमिका निभाई है. इन्हें कई सारे अवार्ड से भी नवाजा गया है. सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस की वेबसाइट के मुताबिक, बिंदेश्वर एक घटना से प्रेरित होकर महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की शपथ ली, जो 'अछूत' कहे जाने वाले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ना और मानवीय गरिमा और समानता का समर्थन करना है.
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