नई दिल्लीः सेबी-सहारा विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को बड़ा झटका दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की 'एंबी वैली' को जब्त करने के आदेश दिए हैं. सहारा समूह की सबसे बड़ी रियल एस्टेट परियोजना 'एंबी वैली' अब से सुप्रीम कोर्ट के कब्जे में आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के निवेशकों के बकाया 14,779 करोड़ रुपए की वसूली को लेकर ये सख्त कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख दी है. कोर्ट ने कहा कि रकम की वसूली तक टाउनशिप सुप्रीम कोर्ट के पास रहेगी.


गौरतलब है कि इसी मामले में सहारा प्रमुख सुब्रत राय 2 साल जेल में रह चुके हैं. अभी सुब्रत राय पेरोल पर बाहर हैं. वो बार-बार कुछ रकम चुका कर पेरोल बढ़वाने में कामयाब होते रहे हैं. सहारा प्रमुख की ओर से सेबी को 600 करोड़ रुपये जमा कराए गए जिसके बाद सुब्रत राय सहारा की पैरोल आगे बढ़ाई गई. लेकिन आज कोर्ट ने ये साफ कर दिया कि वो टुकड़ों में रकम की वसूली के पक्ष में नहीं है. कोर्ट ने साफ किया कि रकम की वसूली की तसल्ली हो जाने पर 39,000 करोड़ रुपये के एंबी वैली वापस सहारा के कब्जे में दे दिया जाएगा. साफ है कि ऐसा न होने की स्थिति में महाराष्ट्र के लोनावाला का ये महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सहारा के हाथ से निकल सकता है.


कोर्ट ने मांगी सहारा की संपत्तियों की लिस्ट


कोर्ट ने कहा कि सहारा 2 हफ्ते में ऐसी संपत्तियों की लिस्ट दे जिन्हें नीलाम कर बकाया रकम वसूली जा सकती है. कोर्ट ने जुलाई 2019 तक बकाया लौटाने के सहारा के प्रस्ताव को नाकाफी बताया. एंबी वैली 39 हजार करोड़ की सहारा की लग्जरी टाउनशिप है जो लोनावला में है. कोर्ट ने 20 फरवरी तक सहारा से उन संपत्तियों की लिस्ट मांगी जिन पर विवाद नहीं है ताकि उनकी नीलामी हो सके. कोर्ट ने कहा है कि जब तक सहारा समूह निवेशकों का बकाया रुपये का हिस्सा देता रहेगा वो सुब्रत रॉय को वापस जेल नहीं भेजेगी.


आज सेबी ने कोर्ट को ये बताया कि 2012 के आदेश के मुताबिक निवेशकों से गलत तरीके से ली गयी रकम लगभग 26 करोड़ रुपए है. इसमें से सहारा ने सेबी के पास 11 हज़ार करोड़ ही जमा कराए हैं. सेबी ने ये भी कहा कि ब्याज समेत अब ये रकम 36 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा हो गयी है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि वो पहले मूल रकम की वसूली पर ध्यान देना चाहता है, उसके बाद ब्याज की बात करेंगे. सेबी ने कोर्ट को बताया कि अभी सहारा की ओर से 14779 करोड़ रुपये बकाया हैं.


उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाईं के दौरान कोर्ट ने सुब्रत राय को 6 फरवरी तक 600 करोड़ रुपया जमा करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर पैसे जमा नहीं हुए तो सहारा प्रमुख को जेल जाना होगा. दरअसल, पिछली सुनवाईं के दौरान सहारा ग्रुप की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई थी कि नोटबंदी की वजह से वह ऐसा करने में समर्थ नहीं हो पाएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 28 नवंबर को जब आदेश दिए गए थे तब भी हालात ऐसे ही थे.


कब-कब मिली पेरोल
बता दें कि सुब्रत राय फिलहाल पैरोल पर बाहर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मां के अंतिम संस्कार के लिए 6 मई, 2016 को सुब्रत रॉय का पैरोल मंजूर किया था. उसके बाद 28 नवंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी, 2017 तक 600 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था.