नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के सबसे बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट एंबी वैली की नीलामी का आदेश दे दिया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सहारा चीफ सुब्रत राय को 28 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश भी दिया. सहारा समूह द्वारा निवेशकों के लिए 300 करोड़ रुपये जमा करने में असफल रहने पर कोर्ट ने ये कड़ा आदेश दे दिया जिसकी चेतावनी उसने इस मार्च के महीने में ही दे दी थी.


सुप्रीम कोर्ट ने आज सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहारा समूह की पॉपुलर प्रॉपर्टी एंबी वैली की नीलामी के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट को ऑफिशियल लिक्विडेटर तय किया है. अदालत ने सहारा को अगले 48 घंटों में इससे जुड़ी सभी जानकारी मुहैया कराने का आदेश दिया है.


क्या है एंबी वैली-
महाराष्ट्र के पुणे में लोनावाला में 10,600 एकड़ में बना ये सहारा ग्रुप का सबसे बड़ा रियल एस्टेट प्रोजेक्ट है. इसमें वादियों, झीलों के साथ आलीशन बंगले, गोल्फ कोर्स, फार्च्यून फाउंटेन समेत प्राइवेट एयर स्ट्रिप जैसी लग्जरी टाउनशिप है.


सुप्रीम कोर्ट ने आज के आदेश में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट कहा, ‘‘बहुत हो चुका. ऐसा नहीं हो सकता कि आप आज कुछ कहें और कल इससे मुकर जायें, 'मानवीय आधार पर दी गई पैरोल और कोर्ट की उदारता का गलत इस्तेमाल किया गया है.' जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस राजन गोगोई और जस्टिस ए के सिकरी की बेंच ने कहा कि 'सहारा ग्रुप किसी भी कीमत पर अपने पहले के बकाये पेमेंट को पूरा करें.' कोर्ट ने सुब्रत रॉय की उस अंडरटेकिंग का जिक्र किया था जिसमें उन्होंनें सेबी के जरिए निवेशकों को 25,000 करोड़ रुपये लौटाने की बात कही थी.


क्या था पिछला आदेश ?
21 मार्च को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सहारा ग्रुप 14,000 करोड़ रुपये के कुल बकाये में से 5092.6 करोड़ रुपये 17 अप्रैल तक सेबी-सहारा के खाते में जमा नहीं कराएगा तो एंबी वैली प्रॉपर्टी की नीलामी का आदेश दिया जाएगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि अगली तारीख से पहले अगर सहारा को बेहतर प्रस्ताव लाता है तो नीलामी टाली जा सकती है. हालांकि ये सिर्फ टिप्पणी है, कोर्ट के आदेश का हिस्सा नहीं है. इस प्रॉपर्टी की कीमत 34,000 करोड़ रुपये बताई जाती है.


क्या है पूरा मामला?
सहारा ग्रुप की 2 कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्प लि. (एसएचआईसीएल) पर निवेशकों से अवैध तरीके से 24,000 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप था. इस मामले में शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त 2012 को सहारा को करीब 26,000 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था पर 2014 तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा था कि बाजार विनियामक संस्था सेबी के पास यह पैसा जमा करा दे. इसके बाद 4 मार्च 2014 को सहारा चीफ सुब्रत राय के साथ कंपनी के 2 डायरेक्टर्स रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी को गिरफ्तार किया गया था. सहारा ने अब तक 11,000 करोड़ रुपये लौटा दिए हैं.


कब से जेल से बाहर हैं सहारा प्रमुख सुब्रत राय
सहारा प्रमुख सुब्रत राय को 4 मार्च, 2014 को जेल भेजा गया था. 6 मई, 2016 को अपनी मां की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए 4 हफ्ते का पैरोल मिला था. उसके बाद से अदालत ने उनका पैरोल लगातार बढ़ाया है और वो मई 2016 से जेल से बाहर हैं.