कोरोना काल: मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर SC में सुनवाई आज
मोरेटोरियम अवधि का मतलब उस समय से है, जिसमें लिया गया कर्ज कुछ समय के लिए निष्क्रिय माना जाता है.पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार इसे बैंक और ग्राहकों के बीच का मसला बता कर पल्ला नहीं झाड़ सकती.
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. 17 जून को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो महीनों के लिए टाल दी थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार और रिज़र्व बैंक इस बीच स्थिति की समीक्षा करें और देखें कि लोगों को किस तरह से राहत दी जा सकती है.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार इसे बैंक और ग्राहकों के बीच का मसला बता कर पल्ला नहीं झाड़ सकती. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंक हज़ारों करोड़ रुपए एनपीए में डाल देते हैं. लेकिन कुछ महीनों के लिए स्थगित ईएमआई पर ब्याज लेना चाहते हैं.
बैंकों की तरफ से क्या कहा गया था?
इस पर बैंकों की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था, “बैंक इस अवधि के दौरान भी अपने ग्राहकों की जमा रकम पर चक्रवृद्धि ब्याज दे रहे हैं. अगर उन्होंने लोन पर ब्याज न लिया तो इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा.“ बैंकों की तरफ से ही पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, “ऐसा कभी भी नहीं कहा गया था कि ईएमआई का भुगतान टालने की जो सुविधा दी जा रही है, वह फ्री है. लोगों को यह पता था कि इस रकम पर ब्याज लिया जाएगा. इसलिए, 90 फीसदी लोगों ने यह सुविधा नहीं ली. ब्याज न लेने से बैंकों का बहुत बड़ा नुकसान होगा."
केंद्र सरकार की तरफ से क्या कहा गया था?
वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने बड़े लोन और छोटे लोन के लिए अलग-अलग व्यवस्था बनाए जाने का सुझाव दिया था. इस पर कोर्ट आश्वस्त नज़र नहीं आया. जजों ने था कहा कि सरकार की भूमिका बस मोरेटोरियम के ऐलान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए या तो सरकार इस अवधि के लिए बकाया रकम के ब्याज के मसले पर बैंकों की सहायता करे या बैंक ब्याज के बिना काम चलाएं.
मोरेटोरियम अवधि का क्या मतलब है?
बता दें कि मोरेटोरियम अवधि का मतलब उस समय से है, जिसमें लिया गया कर्ज कुछ समय के लिए निष्क्रिय माना जाता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मार्च-मई 2020 के दौरान तीन महीने के लिए ऋण अदायगी की मासिक किस्तों (ईएमआई) को टालने की बात कही थी, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय बैंकों पर छोड़ा था.
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