Suraksha Group: दिल्ली-एनसीआर में सालों से घर का इंतजार कर रहे लोगों की मुराद अब जल्द पूरी होने वाली है. जेपी इंफ्राटेक (Jaypee Infratech) का अधिग्रहण करने वाले सुरक्षा ग्रुप (Suraksha Group) ने कंपनी में 250 करोड़ रुपये डाले हैं. इसके अलावा रुके पड़े प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए 3000 करोड़ रुपये के लोन का इंतजाम किया है. इसके बाद लगभग 20 हजार घर मालिकों की आस पूरी होने की उम्मीद बढ़ गई है. 


जेपी इंफ्राटेक की बैलेंस शीट में भी 1000 करोड़ रुपये मौजूद 


बिजनेस स्टैंडर्ड ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सुरक्षा ग्रुप ने 62 टावर के निर्माण की दिशा में काम तेज कर दिया है. इसके अलावा बन चुकी बिल्डिंग के कम्पलीशन सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए प्रयास भी तेज कर दिए हैं. इसके अलावा जेपी इंफ्राटेक की बैलेंस शीट में भी 1000 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं. यह पैसा कंपनी को रियल एस्टेट बिजनेस और ग्रेटर नोएडा से आगरा के बीच बने यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) की टोल इनकम से हासिल हुआ है. 


160 टावर के निर्माण के लिए 7000 करोड़ रुपये की जरूरत


सुरक्षा ग्रुप ने जेपी इंफ्राटेक का कंट्रोल इसी साल जून में हासिल किया था. सुरक्षा ग्रुप द्वारा 250 करोड़ रुपये डालने के बाद अब कंपनी के पास 1250 करोड़ रुपये का फंड इकठ्ठा हो गया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुरक्षा ग्रुप को सभी 160 टावर के निर्माण के लिए लगभग 7000 करोड़ रुपये की जरूरत है. इनमें से सिर्फ 62 में ही काम चल रहा है. बाकी के 97 टावर में काम बंद है. सुरक्षा ग्रुप पहले इन्हीं 62 टावर को पूरा करना चाहता है. इसके अलावा 97 टावर में से 41 के लिए कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट जारी कर दिए हैं. बकाया 56 टावर के कॉन्ट्रैक्ट भी जल्द दे दिए जाएंगे. ज्यादातर टावर में अक्टूबर से काम शुरू हो जाएगा.


जेपी इंफ्राटेक के बोर्ड को नए सिरे से गठित किया गया 


नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के निर्णय के बाद सुरक्षा ग्रुप ने 4 जून को जेपी इंफ्राटेक अधिग्रहण कर लिया था. NCLAT ने सुरक्षा ग्रुप को निर्देश दिया था कि उन्हें किसानों के मुआवजे के तौर पर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी को अतिरिक्त 1334 करोड़ रुपये देने का आदेश भी दिया था. कंपनी ने जेपी इंफ्राटेक के बोर्ड को नए सिरे से गठित किया है. सुरक्षा ग्रुप के प्रमोटर सुधीर वी वालिया (Sudhir V Valia) को जेपी इंफ्राटेक के बोर्ड का नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया है. आलोक चंपक दवे को एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और ऊषा अनिल कदम को स्वतंत्र डायरेक्टर बताया था.


ये भी पढ़ें 


Infosys: एआई की वजह से इंफोसिस में नहीं जाएगी किसी की नौकरी, कई कंपनियों को खरीदने की है तैयारी