सरकार ने ग्रामीण भारत में संपत्तियों को वैध बनाने और उन्हें आर्थिक विकास का आधार बनाने के लिए स्वामित्व योजना के तहत 2.19 करोड़ संपत्ति कार्ड बांटने का लक्ष्य रखा है. यह योजना मार्च 2026 तक पूरी होगी. पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को उनकी संपत्ति के अधिकार देने और इसे बैंक से कर्ज लेने के लिए उपयोगी बनाने में मदद करेगी.


पीएम मोदी बांटेंगे संपत्ति कार्ड


27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 गांवों में 58 लाख संपत्ति कार्ड वितरित करेंगे. अब तक सरकार ने स्वामित्व योजना के तहत 1.37 करोड़ संपत्ति कार्ड जारी किए हैं.


स्वामित्व योजना का उद्देश्य


यह योजना अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू की थी. इसका उद्देश्य गांवों के आबादी वाले क्षेत्रों की संपत्तियों का रिकॉर्ड बनाना है. इस योजना से ग्रामीण भारत के लोगों को अपनी संपत्तियों का मालिकाना हक साफ-साफ मिलने लगेगा.


दरअसल, संपत्ति के अधिकार स्पष्ट न होने की वजह से ग्रामीण लोग अपनी संपत्ति को गिरवी रखकर बैंक से कर्ज नहीं ले पाते. इस समस्या को हल करने के लिए स्वामित्व योजना शुरू की गई है.


ड्रोन तकनीक से होगा सर्वे


स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन और जीआईएस तकनीक का उपयोग करके ग्रामीण इलाकों की जमीन का सर्वे किया जा रहा है. अब तक 3.44 लाख गांवों को योजना में शामिल किया गया है, जिनमें से 92% यानी 3.17 लाख गांवों का सर्वे हो चुका है. योजना के तहत कुल 6.62 लाख गांवों में से 3.44 लाख गांवों को लक्षित किया गया है.


क्या हैं योजना के फायदे?



  • संपत्तियों का मुद्रीकरण (Monetization) होगा.

  • बैंक से कर्ज लेना आसान होगा.

  • संपत्ति से जुड़े विवाद कम होंगे.

  • गांव स्तर पर बेहतर योजना बनाई जा सकेगी.


2026 तक पूरा होगा काम


सरकार का लक्ष्य था कि यह योजना मार्च 2025 तक पूरी हो जाए, लेकिन अब इसे मार्च 2026 तक पूरा किया जाएगा. इस देरी का कारण यह है कि कई राज्यों में संपत्ति कार्ड जारी करने की प्रक्रिया अभी जारी है.


इन राज्यों ने नहीं लिया हिस्सा?


पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, मेघालय और नागालैंड ने इस योजना में भाग नहीं लिया. तमिलनाडु ने योजना के तहत केवल पायलट प्रोजेक्ट किया.


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