कैसा रहेगा 1 अप्रैल से शुरू हो रहा नया वित्त वर्ष निवेशकों के लिए! टैरिफ वार-RBI की कर्ज नीति तय करेगी बाजार की दिशा
Share Market Update: नए वित्त वर्ष में बाजार की नजर अमेरिका के संभावित टैरिफ प्रतिबंधों और आरबीआई की एमपीसी बैठक में संभावित दर कटौती पर की जाने वाली घोषणाओं पर रहेगी.

Indian Stock Market: इस हफ्ते से नए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो रही है. छह महीने बिकवाली करने के बाद विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में वापसी हो रही है. ऐसे में निवेशकों के मन में ये सवाल है कि नया वित्त वर्ष कैसा रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से जुड़े एलानों के साथ अप्रैल 2025 के दूसरे हफ्ते में आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक पर भी बाजार की नजर रहेगी जिसमें ब्याज दरों में कमी की उम्मीद की जा रही है.
बीता हफ्ता शेयर बाजार के लिए मिलाजुला रहा है. इस सप्ताह निफ्टी 50 और सेंसेक्स 30 सूचकांकों में मामूली बढ़त दर्ज की गई, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों ने कमजोर प्रदर्शन किया और गिरावट के साथ बंद हुए. कमजोर वैश्विक संकेतों और आगामी अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताओं के बावजूद, बाजार में विदेशी निवेशकों की सकारात्मक धारणा जारी रही. बाजार के जानकारों के मुताबिक हाल के महीनों में लगातार बिकवाली के बाद, पिछले कुछ सत्रों में एफआईआई शुद्ध खरीदार बन गए हैं
नई (अप्रैल) सीरीज के पहले दिन 28 मार्च को बाजार में उतार-चढ़ाव रहा. सेंसेक्स 191.51 अंक या 0.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,414.92 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 72.60 अंक या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,519.35 पर बंद हुआ. चॉइस ब्रोकिंग के एक नोट के अनुसार, सप्ताह के लिए, सेंसेक्स और निफ्टी में 0.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, महीने के लिए 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2024-25 में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस बीच, इंडिया वीआईएक्स 5.31 प्रतिशत गिरकर 12.5750 पर आ गया, जो बाजार में कम अस्थिरता का संकेत देता है.
बीडीओ इंडिया के फाइनेंशियल सर्विस टैक्स, टैक्स और रेगुलेटरी सर्विस के पार्टनर और लीडर मनोज पुरोहित ने कहा कि एफआईआई प्रवाह हरे निशान में शुरू हुआ है, जिससे वित्त वर्ष के अंतिम सप्ताह के बावजूद भारतीय बाजार में उत्साह लौट आया है, जिसमें आमतौर पर भारी मुनाफावसूली देखी जाती है. उन्होंने आगे कहा, "दूसरी ओर, एफपीआई कम्युनिटी से संबंधित सेबी द्वारा अपनी बोर्ड बैठक में की गई प्रमुख घोषणाओं में से एक ने एफपीआई को प्रोत्साहित किया है."
कुल मिलाकर, यह पूंजी बाजार नियामक द्वारा समय पर उठाया गया कदम है, जिसमें विदेशी निवेशक भारत के प्रति सतर्क रुख अपना रहे हैं. अब सभी की निगाहें अमेरिका के संभावित टैरिफ प्रतिबंधों और आरबीआई के अपनी समीक्षा बैठक में संभावित दर कटौती पर की जाने वाली आगामी घोषणाओं पर टिकी हैं.
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