डायरेक्ट टैक्स कोड पर टास्क फोर्स ने रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपी, लागू हुई तो टैक्स देने वालों को मिलेगी राहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2017 में टैक्स अधिकारियों के साथ सालाना कॉन्फ्रेंस में कहा कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 को बने हुए 50 साल से ज्यादा हो गए हैं और इसे फिर से ड्राफ्ट किए जाने की जरूरत है.
नई दिल्लीः डायरेक्ट टैक्स कोड पर बनाई गई टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक, टास्क फोर्स ने डायरेक्ट टैक्स में कई अमूलचूल परिवर्तन करने की सिफारिशें की हैं. दरअसल केंद्र सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था जिसकी अध्यक्षता सीबीडीटी सदस्य अखिलेश रंजन ने की थी. इस टास्क फोर्स ने सोमवार को नए डायरेक्ट टैक्स कोड पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है. नए डायरेक्ट टैक्स कोड के जरिए मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट को बदलने की बात की जा रही है.
जानिए कौन-कौन से बदलावों की बात की जा रही है
सरचार्ज-इनकम टैक्स पर लगने वाले सरचार्ज और सेस को सरल करने की बात कही है जिससे इनकम टैक्स गणना करना आसान हो और टैक्स विवादों को कम किया जा सके.
आईटी एक्ट-रिपोर्ट में इनकम टैक्स एक्ट में बड़े पैमाने पर बदलाव की बात कही है. नया इनकम टैक्स एक्ट लाने की बात कही गयी है जो कि मौजूदा आईटी एक्ट से सरल हो. इसके अलावा मध्यम वर्ग को राहत देने के मकसद से टैक्स ब्रैकेट में बदलाव की बात कही गयी है.
कंपनियों-घरेलू और विदेशी कंपनियों की टैक्स दरों को समान किया जाए. सभी के लिए समान टैक्स हो जो कि फिलहाल 99 फीसदी से ज़्यादा घरेलू कंपनियों के लिए 25 फीसदी है जबकि विदेशी कंपनियों के लिए 40 फीसदी है. इसके अलावा कंपनियों के टैक्स विवादों को विदेशों की तर्ज़ पर मध्यस्ता से सुलझाने का भी प्रावधान शुरू करने की सिफारिश की गई है.
स्टार्टअप-स्टार्टअप को कंपनियों के तौर पर न देखा जाए. उन्हें बढ़ावा देने के लिए अलग नियम हों और सीमित अवधि के लिए टैक्स में छूट दी जाए.
कॉर्पोरेट टैक्स-कॉर्पोरेट टैक्स को मौजूदा 25 फीसदी से भी कम किया जाए जिससे विदेशी निवेशकों के लिए भारत निवेश हब के तौर पर विकसित हो सके.
पिछले साल अरबिंद मोदी के रिटायरमेंट के बाद वित्त मंत्रालय ने सीबीडीटी के सदस्य अखिलेश रंजन को इस टास्क फोर्स का संयोजक नियुक्त किया था. इस टास्क फोर्स के अन्य सदस्यों में गिरीश आहूजा, (सीए), राजीव मेमानी (ईवीआई के चेयरमैन और रीजनल पार्टनर), मुकेश पटेल (टैक्स एडवोकेट) मानसी केडिया (कंसलटेंट आईसीआरआईईआर) और जीसी श्रीवास्तव (रिटायर्ड आईआरएस और एडवोकेट) शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2017 में टैक्स अधिकारियों के साथ सालाना कॉन्फ्रेंस में कहा कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 को बने हुए 50 साल से ज्यादा हो गए हैं और इसे फिर से ड्राफ्ट किए जाने की जरूरत है. इसके बाद ही टास्क फोर्स को आदेश दिए गए कि डायरेक्ट टैक्स लॉ को अन्य देशों की टैक्स शर्तों के साथ संयोजित किया जाए और देश की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए टैक्स नियमों को ड्राफ्ट किया जाए.
इस पैनल को गठन के छह महीनों के भीतर 22 मई 2018 को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी जिसकी तारीख बाद में बढ़ाकर 22 अगस्त कर दी गई थी. 30 सितंबर 2018 को अरबिंद मोदी के रिटायरमेंट के बाद अखिलेश रंजन की अध्यक्षता वाले पैनल को पहले 28 फरवरी 2019 तक रिपोर्ट सौंपनी थी. इसके बाद एक बार फिर इसकी आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 मई कर दी गई. टास्क फोर्स को अपनी रिपोर्ट 31 मई तक सौंपनी थी लेकिन एक बार फिर इसके लिए आखिरी तारीख दो महीने बढ़ा दी गई थी.
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट को लागू करने से टैक्स देने वालों को राहत मिलेगी और कॉरपोरेट टैक्स में भी राहत मिलेगी.
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