भारत में एप्पल का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है. एप्पल ने भारत में अपने व्यवसाय को 2 लाख करोड़ रुपये के पार ले जाने में सफलता हासिल की है. इसे भारत में पिछले 5 दशकों में किसी कंपनी के बिजनेस में आई सबसे शानदार तेजी माना रहा है. इसके साथ-साथ कुछ अन्य कंपनियों को भी मदद मिल रही है. खासकर टाटा समूह को एप्पल के बिजनेस में इस शानदार वृद्धि से मदद मिल रही है.
इस तरह बढ़ा है टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का राजस्व
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का कुल राजस्व 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 में 3,802 करोड़ रुपये रहा. यह एक साल पहले की तुलना में 9 गुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी है. एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2022-23 में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को 401 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. टाटा समूह की कंपनी ने अपने वित्तीय प्रदर्शन की जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को दी है.
एप्पल के प्रोडक्ट बनाने वाली अकेली ऐसी कंपनी
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के राजस्व में आई इस शानदार तेजी के लिए एप्पल जिम्मेदार है. दरअसल टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का नाम उन कंपनियों में शामिल है, जो भारत में एप्पल के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कर रही हैं. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स पहली व अकेली भारतीय कंपनी है, जो आईफोन समेत एप्पल के विभिन्न प्रोडक्ट को कॉन्ट्रैक्ट पर मैन्युफैक्चर करती है.
परिचालन का पहला पूरा वित्त वर्ष
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 2023-24 परिचालन का पहला पूरा वित्त वर्ष रहा. टाटा समूह की इस कंपनी ने कुछ समय पहले बेंगलुरू के पास स्थित विस्ट्रॉन के आईफोन असेंबली पॉइंट का अधिग्रहण किया था. विस्ट्रॉन का प्लांट खरीदने के बाद टाटा समूह के द्वारा एप्पल के उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग तेज हुई. कंपनी के वित्तीय आंकड़े भी इसकी गवाही दे रहे हैं.
इतना ज्यादा बढ़ गया कंपनी का घाटा
हालांकि राजस्व में इतनी शानदार वृद्धि के बाद भी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को न सिर्फ घाटा उठाना पड़ा है, बल्कि उसका घाटा पहले से बढ़ गया है. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को वित्त वर्ष 2022-23 में 532 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था, जो और बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 825 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. टाटा की कंपनी का कहना है कि घाटा बढ़ने का कारण रुपये के भाव में आई कमी और ब्याज की लागत में तेजी है.
ये भी पढ़ें: 4 साल में एप्पल ने हासिल किया शानदार मुकाम, टाटा स्टील-गेल जैसी दिग्गज कंपनियां रह गईं पीछे