Tata Group: टाटा का नाम इस्तेमाल करने का कितना पैसा देती हैं कंपनियां, टाटा संस ने दोगुनी कर दी फीस
Tata Sons: टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा (Ratan Tata) ने साल 1996 में ब्रांड सब्सक्रिप्शन फीस की शुरूआत की थी. बाद में सायरस मिस्त्री और अब एन चंद्रशेखरन ने इसमें इजाफा किया है.
देश के दिग्गज कारोबारी समूहों में गिने जाने वाले टाटा ग्रुप का बिजनेस कई सेक्टर में फैला हुआ है. टाटा ग्रुप ने अलग-अलग सेक्टर में काम करने के लिए कई कंपनियां खोली हुई हैं. ये सभी कंपनियां अपनी पैरेंट कंपनी टाटा संस (Tata Sons) को टाटा का नाम इस्तेमाल करने के बदले में रॉयल्टी फीस चुकाती हैं. अब टाटा संस ने इस रॉयल्टी फीस में इजाफा कर दिया है. अब टाटा ग्रुप की कंपनियों को टाटा संस को 200 करोड़ रुपये ब्रांड सब्सक्रिप्शन फीस या रॉयल्टी फीस के तौर पर चुकाने होंगे. टाटा ग्रुप ने इस फीस को दोगुना कर दिया है.
टीसीएस ने शयरहोल्डर्स को दी जानकारी
किसी भी कंपनी के साथ टाटा का नाम जुड़ा होना कस्टमर्स के लिए एक भरोसे का प्रतीक होता है. इसी के बदले में टाटा मोटर्स (Tata Motors), टाटा स्टील (Tata Steel) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services) जैसी कंपनियां टाटा संस को रॉयल्टी फीस चुकाती हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 5 साल पहले तक टाटा ब्रांड के मालिक टाटा संस 100 करोड़ रुपये रॉयल्टी फीस के तौर पर लेते थे. अब इस फीस को डबल कर दिया गया है. टीसीएस द्वारा शेयरधारकों को भेजी गई जानकारी से इस फैसले का पता चला है. टीसीएस के मुताबिक, उसने वित्त वर्ष 2024 में टाटा संस को ब्रांड सब्सक्रिप्शन फीस या रॉयल्टी फीस के तौर पर 200 करोड़ रुपये चुकाए हैं.
रतन टाटा ने साल 1996 में शुरू की थी रॉयल्टी फीस
यह ब्रांड सब्सक्रिप्शन स्कीम टाटा संस के मानद अध्यक्ष (Chairman Emeritus) रतन टाटा (Ratan Tata) ने साल 1996 में शुरू की थी. इसके मुताबिक, ग्रुप की हर कंपनी या तो अपने सालाना रेवेन्यू का 0.25 फीसदी या फिर प्री टैक्स प्रॉफिट का 5 फीसदी टाटा संस को रॉयल्टी फीस के तौर पर देगी. यदि कोई कंपनी अप्रत्यक्ष तौर पर टाटा ग्रुप का नाम इस्तेमाल करती है तो उसे सालाना रेवेन्यू का 0.15 फीसदी देना होगा. वित्त वर्ष 2023 में कंपनी ने ब्रांड सब्सक्रिप्शन से 1008 करोड़ रुपये कमाए थे.
सायरस मिस्त्री और चंद्रशेखरन ने किया था इसमें इजाफा
साल 2015 में टाटा संस के तत्कालीन चेयरमैन सायरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) ने ब्रांड सब्सक्रिप्शन का अधिकतम दायरा 75 करोड़ रुपये तय कर दिया था. इसके बाद वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) ने इसे 100 करोड़ रुपये कर दिया था. अब इसे बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये पहुंचा दिया गया है.
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