Vande Bharat Train Route : देश की सबसे भरोसेमंद स्टील कंपनी टाटा स्टील (Tata Steel Company) भारतीय रेलवे (Indian Railways) की अत्याधुनिक ट्रेन ‘वंदे भारत’ एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) की सीटे तैयार करने का जिम्मा सौंपा है. आपको बता दे कि ये सीटे 180 डिग्री तक घूम सकेगी. इन खास सीटों की सप्लाई रेलवे को सितंबर माह से शुरू होगी. हालाँकि यह देश में अपनी तरह की पहली सीटिंग सिस्टम (First Seating System) सीट होगी.


145 करोड़ रुपये का मिला ऑर्डर
टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (Technology and New Material Business) देवाशीष भट्टाचार्य का कहना है कि कंपनी के कंपोजिट डिवीजन को वंदे भारत एक्सप्रेस की 22 ट्रेनों के लिए सीटें मुहैया कराने का ऑर्डर दिया गया है. इस ऑर्डर को बनाने में करीब 145 करोड़ रुपये की लागत आ रही है.


180 डिग्री तक घूम सकती हैं सीटें
देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा कि, ‘ये खास तौर पर डिजाइन की गई सीट हैं. ये 180 डिग्री तक घूम सकती हैं और इनमें विमानों की सीटों की तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएँगी. यह ट्रेन सीट की अपनी तरह की भारत में पहली सप्लाई है. इन सीटों की सप्लाई सितंबर माह से शुरू होगी और 12 महीनों में इसे पूरा किया जाएगा.


FRP की बनी हैं सीटें
वंदे भारत ट्रेनों के लिए तैयार की गईं ये सीट फाइबर रिइंफोर्स्ड पॉलिमर (Fiber Reinforced Polymer) की बनी हैं. यह सीटे सुविधाजनक होने के साथ यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने में भी योगदान देगी. पूरी तरह घरेलू स्तर पर विकसित वंदे भारत ट्रेन 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. यह देश की सबसे तेज ट्रेनों में से एक है.


रिसर्च पर 3,000 करोड़ रुपए खर्च 
भट्टाचार्य का कहना है कि टाटा स्टील की रिसर्च और डेवलपमेंट गतिविधियों पर साल 2025-26 तक 3,000 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है. यह साल 2030 तक टाटा स्टील को वैश्विक स्तर पर टॉप 5 स्टील कंपनियों में पहुंचाने के लक्ष्य का ही हिस्सा है. कंपनी रिसर्च और डेवलपमेंट पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.


महाराष्ट्र में बना प्लांट 
टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट का कहना है कि टाटा स्टील सैंडविच पैनल (Tata Steel Sandwich Panel) बनाने के लिए महाराष्ट्र के खोपोली में एक नया प्लांट लगा रही है. बताया जा रहा है कि इसमें नीदरलैंड की एक कंपनी टेक्नोलॉजी पार्टनर के रूप में काम कर रही है. इस प्लांट में बनने वाले सैंडविच पैनलों का इस्तेमाल रेलवे एवं मेट्रो के कोच में इंटीरियर के लिए किया जाएगा.


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