टाटा समूह की वाहन कंपनी टाटा मोटर्स अपने इन्वेस्टर्स को सालों के लंबे अंतराल के बाद डिविडेंड देने वाली है. कंपनी ने मार्च तिमाही में बंपर रिजल्ट के बाद डिविडेंड देने का ऐलान किया है. इससे पहले कंपनी ने करीब 7 साल पहले 2016 में अपने निवेशकों को लाभांश दिया था.


मार्च तिमाही में इतना मुनाफा


कंपनी को वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2023 के दौरान 5,408 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है. मुख्य रूप से बढ़ती घरेलू मांग, कीमतों में गिरावट और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याओं के दूर होने से कंपनी को शानदार मुनाफा कमाने में मदद मिली है. कंपनी ने शुक्रवार को शेयर बाजार को बताया कि इससे ठीक साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2021-22 की मार्च तिमाही में उसे 1,033 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था.


इनकम बढ़कर हुई इतनी


टाटा मोटर्स के अनुसार चौथी तिमाही में उसकी परिचालन से आय बढ़कर 1,05,932 करोड़ रुपये हो गई, जो जनवरी-मार्च 2022 में 78,439 करोड़ रुपये रही थी. इस तरह देखें तो कंपनी की कमाई में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. मार्च तिमाही के दौरान एकल आधार पर कंपनी का मुनाफा 2,696 करोड़ रुपये रहा, जो इससे एक साल पहले 413 करोड़ रुपये रहा था.


पूरे साल के दौरान ऐसी रही कमाई


पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो कंपनी को पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान 2,414 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा हुआ है. वहीं इससे पिछले वर्ष में यानी 2021-22 के दौरान कंपनी को 11,441 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इस दौरान कंपनी की कमाई 2021-22 के 2,78,454 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 3,45,967 करोड़ रुपये हो गई.


इन्वेस्टर्स को मिलेगा इतना लाभांश


शानदार रिजल्ट से उत्साहित टाटा मोटर्स अपने इन्वेस्टर्स को 2 रुपये प्रति शेयर की दर से लाभांश देने जा रही है. कंपनी के बोर्ड ने लाभांश की सिफारिश कर दी है, जिसे शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी बाकी है. इससे पहले टाटा मोटर्स ने आखिरी बार साल 2016 में अपने इन्वेस्टर्स को लाभांश का भुगतान किया था. तब कंपनी ने 0.20 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से लाभांश दिया था.


इन फैक्टर्स से सुधरी हालत


कंपनी को किसी भी एक तिमाही का सबसे ज्यादा राजस्व पाने और घाटे से उबरकर जबरदस्त मुनाफा कमाने में जगुआर लैंड रोवर से भी मदद मिली है. कंपनी ने कुछ साल पहले इस लग्जरी ब्रिटिश ब्रांड को फोर्ड से खरीदा था. जगुआर लैंड रोवर के कारों की यूरोप और चीन जैसे बाजारों में काफी मांग है. वहीं घरेलू मोर्चे पर कंपनी को अपने मॉडलों के दाम बढ़ाने से मदद मिली है. कंपनी ने बढ़ती लागत का हवाला देकर इस साल कई चरणों में अपनी गाड़ियों के दाम बढ़ा चुकी है.


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